भारतीय इतिहास लेखन की प्रमुख विशेषता
- भारत के बारे में इतिहास लेखन की परम्परा का प्रारम्भ भारत की सीमा के बाहर हुआ।
- भारतीय इतिहास का लेखन सर्वप्रथम यूनानी लेखकों के द्वारा किया गया
- प्रमुख यूनानी इतिहास लेखक - हेरोडोटस नियार्कस, मेगस्थनीज, प्लूटो, एरियन, स्ट्रैबो, प्लिनी, टालमी आदि।
- भारतीय इतिहास के लेखन का दूसरा चरण अलबरूनी से प्रारम्भ हुआ। अलबरूनी संस्कृत का ज्ञाता था। वह महमूद गजनवी के समकालीन था।
- अलबरूनी के पश्चात यूरोपीय इतिहासकारो विशेषकर ईसाई धर्म प्रचारकों ने भारत के बारे में अनेक धर्म ग्रन्थों की रचना की।
- भारत मे साम्राज्यवादी इतिहास लेखन ईसाई धर्म प्रचारकों से प्रभावित रहा।
1784 में स्थापित एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल का भी महत्वपूर्ण प्रभाव है।
प्रमुख विचारधारा एवं लेखक
साम्राज्यवादी इतिहास लेखक -विलियम जॉन्स, मैक्समूलर, मोनियर विलियमस, कार्ल मार्कस, एफ.डब्ल्यू हेंगल, विसेन्ट, आर्थर स्मिथ आदि।
राष्ट्रवादी इतिहास लेखक - D.R.भण्डारकर, एच.सी. रायचौधरी, आर.सी.मजूमदार, पी.वी.काणे, के.ऐ. नीलकंठ, के.पी. जायसवाल, ए.एस. अल्टेकर, आदि।
20वी शताब्दी के दौरान मार्क्सवादी विचारधारा का प्रभाव रहा , इसका जनक डी.डी. कौशाम्बी को माना जाता है।
मार्क्सवादी इतिहास लेखक - डी. आर. चन्ना, आर. एस. शर्मा, रोमिला थापर , इरफान हबीब, विपिन चन्द्र, सतीश चन्द्र ।आदि।
वर्तमान में भारतीय इतिहास लिखन में बहुविषयक दृष्टिकोण का प्रभाव है।
No comments:
Post a Comment
आप इस विषय पर चर्चा ,सुझाव य किसी प्रकार के प्रश्न के लिए सादर आमंत्रित है।
यह पोस्ट अधिक से अधिक लोगो तक पहुचाने में हमारी मदद करे ।
यथा संभव आप प्रश्न हमारे व्हाट्सएप ग्रुप में पूछे
धन्यवाद ।