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Wednesday, February 21, 2018

भारत के इतिहास लेखन की परम्परा एवं विचारधारा

भारतीय इतिहास लेखन की प्रमुख विशेषता
  1. भारत के बारे में इतिहास लेखन की परम्परा का प्रारम्भ भारत की सीमा के बाहर हुआ।
  2. भारतीय इतिहास का लेखन सर्वप्रथम यूनानी लेखकों के द्वारा किया गया 
  3. प्रमुख यूनानी इतिहास लेखक - हेरोडोटस नियार्कस, मेगस्थनीज, प्लूटो, एरियन, स्ट्रैबो, प्लिनी, टालमी आदि।
  4. भारतीय इतिहास के लेखन का दूसरा चरण अलबरूनी से प्रारम्भ हुआ। अलबरूनी संस्कृत का ज्ञाता था। वह महमूद गजनवी के समकालीन था।
  5. अलबरूनी के पश्चात यूरोपीय इतिहासकारो विशेषकर ईसाई धर्म प्रचारकों ने भारत के बारे में अनेक धर्म ग्रन्थों की रचना की।
  6. भारत मे साम्राज्यवादी इतिहास लेखन ईसाई धर्म प्रचारकों से प्रभावित रहा।
1784 में स्थापित एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल का भी महत्वपूर्ण प्रभाव है।


प्रमुख विचारधारा एवं लेखक

साम्राज्यवादी इतिहास लेखक -विलियम जॉन्स, मैक्समूलर,     मोनियर विलियमस,  कार्ल मार्कस, एफ.डब्ल्यू हेंगल,  विसेन्ट, आर्थर स्मिथ    आदि।



राष्ट्रवादी इतिहास लेखक - D.R.भण्डारकर,   एच.सी. रायचौधरी,  आर.सी.मजूमदार,  पी.वी.काणे,  के.ऐ. नीलकंठ,  के.पी. जायसवाल,  ए.एस. अल्टेकर,    आदि।




20वी शताब्दी के दौरान मार्क्सवादी विचारधारा का प्रभाव रहा , इसका जनक डी.डी. कौशाम्बी को माना जाता है।


मार्क्सवादी इतिहास लेखक -  डी. आर. चन्ना,   आर. एस. शर्मा,      रोमिला थापर , इरफान हबीब,  विपिन चन्द्र,    सतीश चन्द्र ।आदि।




वर्तमान में भारतीय इतिहास लिखन में बहुविषयक दृष्टिकोण का प्रभाव है।

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