Monday, October 2, 2017

विषाणु से होने वाले रोग

विषाणु का अंग्रेजी शब्द वाइरस का शाब्दिक अर्थ विष होता है। सर्वप्रथम सन
1796 में डाक्टर एडवर्ड जेनर ने पता लगाया कि चेचक, विषाणु के कारण होता है। उन्होंने चेचक के टीके का आविष्कार भी किया।

विषाणु अकोशिकीय अतिसूक्ष्म जीव हैं जो केवल जीवित कोशिका में ही वंश वृद्धि कर सकते हैं।  ये नाभिकीय अम्ल और प्रोटीन से मिलकर गठित होते हैं, शरीर के बाहर तो ये मृत-समान होते हैं परंतु शरीर के अंदर जीवित हो जाते हैं।

इन्हे क्रिस्टल के रूप में इकट्ठा किया जा सकता है। एक विषाणु बिना किसी सजीव माध्यम के पुनरुत्पादन नहीं कर सकता है। यह सैकड़ों वर्षों तक सुशुप्तावस्था में रह सकता है और जब भी एक जीवित मध्यम या धारक के संपर्क में आता है उस जीव की कोशिका को भेद कर आच्छादित कर देता है और जीव बीमार हो जाता है।

एक बार जब विषाणु जीवित कोशिका में प्रवेश कर जाता है, वह कोशिका के मूल आरएनए एवं डीएनए की जेनेटिक संरचना को अपनी जेनेटिक सूचना से बदल देता है और संक्रमित कोशिका अपने जैसे संक्रमित कोशिकाओं का पुनरुत्पादन शुरू कर देती है।

विषाणु                               रोग

(1) HIV                               एड्स

(2) अरबो वायरस                   डेंगूज्वर

(3) पोलियो                          पोलियो

(4) मिक्सो वायरस               इन्फ्लुएंजा

(5) वैरिओला वायरस           चेचक

(6) वैरिसेला                        छोटी माता

(7) मोर्बिली वायरस             खसरा

(8) रैब्डो वायरस                रेबीज

(9) हर्पीस                        हर्पीस

    रोग                              प्रभावित अंग

(1) एड्स                   प्रतिरक्षा प्रणाली

(2) डेंगूज्वर                 सिर, आँख, जोड़

(3) पोलियो                 गला, रीढ़, नाड़ी संस्थान

(4) इन्फ्लुएंजा              सम्पूर्ण शरीर

(5) चेचक                     सम्पूर्ण शरीर

(6) छोटी माता               सम्पूर्ण शरीर

(7) गलसोथ                   पैराथाईराइड ग्रन्थि

(8) खसरा                 सम्पूर्ण शरीर

(9) ट्रेकोमा                    आँख

(10) पीलिया               यकृत

(11) रेबीज                 तंत्रिका तंत्र

(12) मेनिनजाइटिस        मस्तिष्क

(13) हार्पीस                  त्वचा

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