Tuesday, October 16, 2018

पाचन तंत्र ( Digestive system )

पाचन तंत्र - भोजन का पाचन 5 अवस्थाओ में पूर्ण होती है ।

1. अंतर्ग्रहण ( ingestion)
2. पाचन ( Digestion)
3. अवशोषण ( Absorption)
4. स्वांगीकरण ( Assimilation)
5. मलपरित्याग ( Defcation)


अंतर्ग्रहण -भोजन का करना अर्थात भोजन को मुखगुहा के अंदर ले जाना अंतरग्रहण कहलाता है

पाचन - भोजन की पाचन क्रिया मुख से ही प्रारंभ हो जाती है मुंह में लार ग्रंथियों से लार का स्राव होता है ।
दो प्रकार के एंजाइम टायलिन व माल्टोज का श्रावण होता है।

 एंजाइम का कार्य भोजन के स्वेत सार वाले अंश को सरल शर्करा में परिवर्तित कर पचने लायक बनाना है।

 मनुष्य में डेढ़ लीटर लार प्रतिदिन स्रावित होता है।

लार की प्रकृति अम्लीय होती है इसका ph मान 6.8 होता है। मुख से भोजन आहार नाल के माध्यम से अमाशय में जाता है। आहार नाल में किसी भी अवयव का पाचन नहीं होता है।




आमाशय में पाचन - भोजन लगभग 4 घंटे तक अमाशय में संग्रहित होता है । पाइलोरिक  ग्रंथियों से जठर रस का श्रावण होता है ।
जठर रस हल्का पीले रंग का अम्लीय द्रव होता है ।

भोजन के साथ आए हुए जीवाणुओं को नष्ट करने तथा एंजाइम की क्रिया को तीव्र करने के लिए आक्सिनटिक कोशिका से हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का श्रावण होता है यह भोजन को अम्लीय बनाता है तथा टायलिन क्रिया को समाप्त कर देता है ।

जठर रस से एंजाइम पेप्सिन तथा रेनिन निकलता है ।

पेप्सिन प्रोटीन को खंडित कर सरल पदार्थों ( पेप्टोस ) में परिवर्तित कर देता है और

रेनिन  दूध में घुली हुई प्रोटीन केसीबोजेन को ठोस प्रोटीन कैलशियम पैराकेसिनेट के रूप में बदलता है।




पक्वाशय में पाचन - सामान्य अवस्था में यकृत से निकलने वाला पित्त रस पित्ताशय में एकत्रित होता है तथा भोजन के उपरांत पित्ताशय से निकलने वाला पित्त रस पक्वाशय अर्थात ग्रहणी ( Duodenum) में जाता है ।
पित्तरस क्षारीय  होता है इसका पीएच मान 7.6 से 8.6 तक होता है  यह भोजन को अम्लीय से क्षारीय बनाता है ।  इसके बाद अग्नाशयी रस जाकर  भोजन में मिलता है इस अग्नाशय रस में तीन प्रकार के एंजाइम होते हैं।

1. ट्रिप्सिन
2. एमाइलेज
3.लाइपेज

ट्रिप्सिन -  प्रोटीन एवं पेप्टोन को पालीपेप्टाइट्स तथा अमीनो अम्लों में परिवर्तित करता है।

एमाइलेज -  माड़ का घुलनशील शर्करा में परिवर्तित करता है

लाइपेज - एमलसिफाइड वसा को ग्लिसरीन तथा फैटी एसिड्स में परिवर्तित कर देता है।



छोटी आंत में पाचन-  छोटी आंत में पाचन की क्रिया पूर्ण हो जाती है एवं पचे हुए भोजन का अवशोषण होता है।

 एंजाइम -इसमें
इरेप्सिन
माल्टोज
सुक्रेस
लैक्टेस
लाइपेज
इन एन्जाइमों का आंत में निम्न चीजो में परिवर्तन होता है।

 इरेप्सिन -  प्रोटीन एवं पेप्टोन का अमीनो अम्ल में परिवर्तन।

माल्टोस- माल्टोस का ग्लूकोज में परिवर्तन करता है ।

सुक्रोज - सुक्रोज का ग्लूकोज़ तथा फ्रक्टोज में परिवर्तन।

लैक्टोज - लैक्टोज का  ग्लूकोस तथा गैलोक्टोज में परिवर्तन ।

लाइपेज- एमलसिफाइड वसाओं का ग्लिसरीन तथा फैटी एसिड में परिवर्तन ।
आंत से आन्त्रिक रस निकलता है यह क्षारीय होता है स्वस्थ मनुष्य में प्रतिदिन 2 लीटर आन्त्रिक रस निकलता है।




अवशोषण- अवशोषण में पचे हुए भोजन के अंशो को रुधिर में पहुंचाया जाता है छोटी आंत की रचना अर्द्धघ कार होती है इसी के द्वारा और शोषण का कार्य होता है ।

स्वांगीकरण- अवशोषित भोजन का शरीर के लिए उपयोग की जाने की क्रिया स्वांगीकरण कहलाती हैं।


मल परित्याग - अपच भोजन को बड़ी आंत  में जीवाणुओं द्वारा मल में बदला जाता है जिसको गुदा द्वारा निष्कासित कर दिया जाता है। 

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