ऋतु में परिवर्तन सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की स्थिति में परिवर्तन के कारण होता है पृथ्वी के परिक्रमण में चार अवस्थाएं होती हैं
1 उत्तर अयनांत - सूर्य की किरणें 21 जून को कर्क रेखा पर लंबवत पड़ती हैं । इसके कारण इन क्षेत्रों में अधिक ऊष्मा की प्राप्ति होती है तथा उत्तरी गोलार्ध में ग्रीष्म ऋतु होता है उत्तरी गोलार्ध के सूर्य के सम्मुख होने के कारण उत्तरी ध्रुव के समीपवर्ती क्षेत्रों में लगातार छह महीने तक दिन रहता है । 21 जून को इन क्षेत्रों में सबसे बड़ा दिन तथा सबसे छोटी रातें होती हैं । दक्षिणी गोलार्ध में इस समय शीत ऋतु होती है पृथ्वी कि इस अवस्था को उत्तर अयनांत कहते हैं।
2 दक्षिण अयनांत - सूर्य की किरणें 22 दिसंबर को मकर रेखा पर लंबवत पड़ती है इसलिए दक्षिणी गोलार्ध के बहुत बड़े भाग में सूर्य प्रकाश प्राप्त होता है । इस स्थिति मेंं दक्षिणी गोलार्ध मेंं ग्रीष्म ऋतु होती है । जिसमें दिन की अवधिि लंबी रातें छोटी होती हैं इसके विपरीत उत्तरी गोलार्धध में सूर्य की किरणें तिरछी पड़ने के कारण वहां शीत ऋतु होती है। जिसमें दिन की अवधि छोटी और रातें बड़ी होती हैं । दक्षिणी ध्रुव सूर्य के सम्मुख झुुका होने केेेे कारण इस ध्रुव पर हमेशा दिन बना रहता हैै । पृथ्वी कि इस अवस्था को दक्षिण अयनांत कहा जााता है।
3 विषुव - सूर्य की किरणें 21 मार्च तथा 23 दिसंबर को विषुवत रेखा पर लम्बवत पड़ती है । इसलिए संपूर्ण पृथ्वी पर रात एवं दिन बराबर होते हैं । जब सूर्य की किरणें 21 मार्च को विषुवत रेेेखा पर चमकती है ।
तो ऐसी स्थित में उत्तरी गोलार्द्ध में बसंत ऋतु एवं दक्षिण गोलार्द्ध में शरद ऋतु होती है।
जब 23 दिसम्बर को सूर्य की किरणें विषुवत रेखा पर सीधी चमकती है तब उत्तरी गोलार्द्ध में शरद ऋतु तथा दक्षिण गोलार्द्ध में बसंत ऋतु होती है।
21 जून तथा 22 दिसंबर को क्रमशः 66 1/2° उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशो पर सूर्य का प्रकाश पूरे दिन अर्थात 24 घंटे रहता है । इस समय सूर्य आधी रात को भी चमकता है । जिसे मध्य रात्रि का सूर्य कहते हैं । नार्वे को मध्य रात्रि के सूर्य का देश कहते हैं।
1 उत्तर अयनांत - सूर्य की किरणें 21 जून को कर्क रेखा पर लंबवत पड़ती हैं । इसके कारण इन क्षेत्रों में अधिक ऊष्मा की प्राप्ति होती है तथा उत्तरी गोलार्ध में ग्रीष्म ऋतु होता है उत्तरी गोलार्ध के सूर्य के सम्मुख होने के कारण उत्तरी ध्रुव के समीपवर्ती क्षेत्रों में लगातार छह महीने तक दिन रहता है । 21 जून को इन क्षेत्रों में सबसे बड़ा दिन तथा सबसे छोटी रातें होती हैं । दक्षिणी गोलार्ध में इस समय शीत ऋतु होती है पृथ्वी कि इस अवस्था को उत्तर अयनांत कहते हैं।
2 दक्षिण अयनांत - सूर्य की किरणें 22 दिसंबर को मकर रेखा पर लंबवत पड़ती है इसलिए दक्षिणी गोलार्ध के बहुत बड़े भाग में सूर्य प्रकाश प्राप्त होता है । इस स्थिति मेंं दक्षिणी गोलार्ध मेंं ग्रीष्म ऋतु होती है । जिसमें दिन की अवधिि लंबी रातें छोटी होती हैं इसके विपरीत उत्तरी गोलार्धध में सूर्य की किरणें तिरछी पड़ने के कारण वहां शीत ऋतु होती है। जिसमें दिन की अवधि छोटी और रातें बड़ी होती हैं । दक्षिणी ध्रुव सूर्य के सम्मुख झुुका होने केेेे कारण इस ध्रुव पर हमेशा दिन बना रहता हैै । पृथ्वी कि इस अवस्था को दक्षिण अयनांत कहा जााता है।
3 विषुव - सूर्य की किरणें 21 मार्च तथा 23 दिसंबर को विषुवत रेखा पर लम्बवत पड़ती है । इसलिए संपूर्ण पृथ्वी पर रात एवं दिन बराबर होते हैं । जब सूर्य की किरणें 21 मार्च को विषुवत रेेेखा पर चमकती है ।
तो ऐसी स्थित में उत्तरी गोलार्द्ध में बसंत ऋतु एवं दक्षिण गोलार्द्ध में शरद ऋतु होती है।
जब 23 दिसम्बर को सूर्य की किरणें विषुवत रेखा पर सीधी चमकती है तब उत्तरी गोलार्द्ध में शरद ऋतु तथा दक्षिण गोलार्द्ध में बसंत ऋतु होती है।
21 जून तथा 22 दिसंबर को क्रमशः 66 1/2° उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशो पर सूर्य का प्रकाश पूरे दिन अर्थात 24 घंटे रहता है । इस समय सूर्य आधी रात को भी चमकता है । जिसे मध्य रात्रि का सूर्य कहते हैं । नार्वे को मध्य रात्रि के सूर्य का देश कहते हैं।
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