Thursday, September 21, 2017

आक्सीजन का हिंदी नाम ??

ऑक्सीजन, धरती का तीसरा सबसे ज्यादा पाया जाने वाला तत्व (elememt) है. सबसे अधिक हाॅइड्रोजन और फिर  हिलियम पाया जाता है ।

ऑक्सीजन सभी प्राणियों के लिए बहुत आवश्यक है ऑक्सीजन रंगहीन, स्वादहीन तथा गंधरहित गैस है इसका रासायनिक सूत्र O है और इसको हिंदी में प्राणवायु या जारक भी कहा जाता है।

आक्सीजन की खोज -
ऑक्सीजन गैस की खोज 1772 में सर्वप्रथम स्वीडन के शीले नामक वैज्ञानिक ने की थी। ऑक्सीजन की खोज, प्राप्ति अथवा प्रारंभिक अध्ययन में जे. प्रीस्टले और सी.डब्ल्यू. शीले ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था कार्ल शीले ने पोटैशियम नाइट्रेट को गर्म करके आक्सीजन गैस तैयार किया पर उनका कार्य बाद में उजागर हुआ एन्टोनी लैवोइजियर ने इस गैस के गुणों का वर्णन किया तथा इसका नाम आक्सीजन रखा, जिसका अर्थ है – ‘अम्ल उत्पादक’

ऑक्सीजन का भौतिक गुण:

द्रव ऑक्सीजन नीला होता है और  वायु से कुछ भारी भी होता है यदि हम आक्सीजन को ठंडा करते है तो ऑक्सीजन नीले रंग के द्रव में परिवर्तित हो जाएगी।

ऑक्सीजन जलने में या जलाने में सहायक होती है लेकिन अपने आप कभी भी नहीं जलती। ऑक्सीजन गैस की प्रकृति अनुचुम्बकीय है।

किन्तु लिक्विड ऑक्सीजन मैग्नेटिक होती है. मतलब, एक पावरफुल चुंबक के साथ यह चारों तरफ घुमाई जा सकती है. यहाँ तक कि एक जगह से उठाई भी जा सकती है.।

आक्सीजन के रासायनिक गुण-

हवा से ऑक्सीजन अलग करने के लिए अब द्रव हवा का अत्यधिक उपयोग होता है, जिसके प्रभाजित आसवन से ऑक्सीजन प्राप्त किया जाता है,

पानी के इलेक्ट्रॉलिसिस से हाइड्रोजन के उत्पादन में ऑक्सीजन भी बाइप्रॉडक्ट के रूप में मिलता है
ऑक्सीजन प्राप्त करने के विचार से कुछ अन्य ऑक्साइड भी जैसे ताँबा, पारा आदि के ऑक्साइड इसी प्रकार उपयोगी हैं
.
बहुत से तत्व ऑक्सीजन से सीधा संयोग करते हैं। इनमें कुछ जैसे फॉस्फोरस, सोडियम इत्यादि तो साधारण ताप पर ही धीरे-धीरे क्रिया करते हैं, परंतु अधिकतर, जैसे कार्बन, गंधक, लोहा, मैग्नीशियम इत्यादि, गरम करने पर ऑक्सीजन से भरे बर्तन में ये वस्तुएँ दहकती हुई अवस्था में डालते ही जल उठती हैं और जलने से ऑक्साइड बनता है। ऑक्सीजन में हाइड्रोजन गैस जलती है तथा पानी बनता है। यह क्रिया इन दोनों के गैसीय मिश्रण में विद्युत चिनगारी से अथवा उत्प्रेरक की उपस्थिति में भी होती है।

जब बेरियम ऑक्साइड को गर्म किया जाता है लगभग 500° सेंटीग्रेड तक तब वह हवा से ऑक्सीजन लेकर परॉक्साइड बनाता है। अधिक तापक्रम लगभग 800° सेंटीग्रेड पर इसके विघटन से ऑक्सीजन प्राप्त होता है तथा पुन: उपयोग के लिए बेरियम ऑक्साइड बचा रहता है। औद्योगिक उत्पादन के लिए ब्रिन विधि इसी क्रिया पर आधारित थी।

आक्सीजन एवं जीव -

(1) हमारे शरीर की 90% एनर्जी ऑक्सीज़न की वजह से आती है. भोजन, पानी से तो केवल 10% मिलती है.।

(2) नाइट्रोज़न की तुलना में ऑक्सीज़न
पानी में 2 गुणा ज्यादा घुलनशील है. इसी से जलीय जीवन सम्भव हुआ है अगर ये नाइट्रोजन जितनी ही घुलनशील होती तो जल में जन्तुओ का जीवन सम्भव नही हो पाता।

(3) आदमी के खून में ऑक्सीजन का स्तर 12 से 14 किलोपास्कल तक रहता है।

आक्सीजन की कमी से होने वाले रोग -

सामान्य तौर पर शरीर में ऑक्सीजन का स्तर 95 से 100 प्रतिशत तक होता है। जब शरीर में ऑक्सीजन का स्तर 90% से नीचे जाता है तो उसे ऑक्सीजन की कमी माना जाता है।

आक्सीजन की कमी से मुख्यता: हाइपोजिमिया रोग होता है ।
यदि शरीर के विभिन्न अंगों जैसे, मस्तिष्क, लिवर और किड़नी समेत अनेकों अंगों को पर्याप्त ऑक्सीजन न मिले तो यह भी डेमेज हो सकते हैं।

तथा मिर्गी, लकवा , कैंसर आदि रोगों के लिए भी आक्सीजन की कमी जिम्मेदार होती है।

ऑक्सीजन की कमी से शरीर अम्लीय हो जाता है।
कैंसर की कोशिकाएं (Cells) अवायवीय अर्थात ऑक्सीजन के बिना जीवित रहने वाली ) होती है जिस शरीर में ऑक्सीजन अधिक होगी वहां कैंसर की कोशिकाए जीवित नहीं रह सकती।

आक्सीजन की प्राकृतिक रूप से प्राप्ति -

(1) जमीन का अधिकांश हिस्सा समुद्री होने की वजह से समुद्री पौधे पृथ्वी को सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देते हैं।  वातावरण में मौजूद 70 से 80 फीसदी ऑक्सीजन समुद्री पौधे की द्वारा ही बनाई जाती है। ये पौधे जमीनी पौधों से ज्यादा ऑक्सीजन बनाते हैं।

(2)  बांस , नीम, बरगद, तुलसी ,पीपल के पेड़ की तरह नीम, बरगद और तुलसी के पेड़ भी अधिक मात्रा में ऑक्सीजन देते हैं। नीम, बरगद, तुलसी के पेड़ एक दिन में 20 घंटों से ज्यादा समय तक ऑक्सीजन का निर्माण करते हैं। जबकि पीपल 22 घंटे से भी ज्यादा ।
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