एक आदमी था वह टोपियाँ बेचा करता था। एक दिन वह टोपियाँ बेच कर घर लौट रहा था तो रास्ते में एक बगीचा पड़ा वहां एक आम का पेड़ था और शीतल हवा चल रही थी । उसने सोचा क्यों न यहाँ थोडा सा आराम कर् लिया जाए वह उसी पेड़ के नीचे बैठ कर आराम करने लगा क्योकि वह थका हुआ था और शीतल हवा भी चल रही थी तो वह कब सो गया उसे पता ही नही चला।
जब उसकी नीद उजड़ी तो उसने देखा की उसके थैले से सारी टोपियाँ गायब हो गयी है वह परेशान हो गया की आखिर उसकी टोपियाँ कहा गयी।
उसने ऊपर देखा तो पेड़ के ऊपर बंदर थे जो अपने सर पे उसकी टोपी लगाये हुए थे।
वह सोचने लगा कि इन बंदरो से टोपियाँ कैसे पाई जाये।
वह सिर पर हाथ रख कर सोचने लगा तो सभी बंदर उसकी नकल करते हुए सिर पर हाथ रख लिए ।
टोपी वाले को उपाय सुझा उसने अपनी टोपी सर से उतार कर नीचे फेक दी सभी बंदरो ने भी अपनी टोपियाँ निकाल कर नीचे फेक दी।
टोपी वाले ने जल्दी जल्दी अपनी टोपियाँ बटोरी और घर को चलता बना।
धीरे धीरे समय बीतता गया और वो अब बुढा हो चूका था सो अब उसको बेटा टोपियाँ बेचने लगा ।
एक दिन उसका बेटा टोपियाँ बेच कर वापस आ रहा था तो थके होने के कारण उसने भी आराम करने की सोची और उसकी भी आँख जल्दी ही लग गयी ।
जब उसकी आँख खुली तो देखा टोपियाँ गायब थी उसने ऊपर देखा तो बंदर टोपियाँ पहने हुए थे उसे अपने पिता की आप बीती याद आई और वह मुस्कुराया और अपने सर से टोपी निकाल कर नीचे फेक दिया ।
लेकिन उसने जो देखा दंग रह गया किसी भी बंदर ने अपनी टोपी नीचे नही फेकी बल्कि एक बंदर जिसे टोपी नही मिली थी लपक कर उसके द्वारा फेकी गयी टोपी उठा कर पेड़ पर भाग गया ।
और बंदर ने कहा की तुम्हे क्या लगता है ये कहानी हमारे पूर्वजो ने हमे नही बताई ।
और सभी बंदर टोपी लेकर चलते बने ।
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