भारत पर आक्रमण करने वाले विदेशी आक्रमणकारियों का क्रम है -
हिंद-यूनानी, शक , पहलव, कुषाण,
सेल्यूकस के द्वारा स्थापित पश्चिमी तथा मध्य एशिया की विशाल साम्राज्य को उसके उत्तराधिकारी एन्टीओकस प्रथम ने अक्षुण्ण बनाए रखा।
एन्टीओकस द्वितीय के शासनकाल में विद्रोह के फलस्वरुप उसके अनेक प्रांत स्वतंत्र हो गए ।
बैक्टीरिया के विद्रोह का नेतृत्व डियोडोट्स प्रथम ने किया।
बैक्टीरिया पर प्रथम के साथ इन राजाओं ने क्रमशा शासन किया-
डियोडोट्स द्वितीय , यूथीडेमस, डेमेट्रियस, मिनेन्डर, युक्रेटाईडस , एंटी ऑलकिड्स तथा हर्मिक्स।
भारत पर सबसे पहले आक्रमण बैक्टीरिया के शासक डेमेट्रियस ने किया उसने 190 ईसवी पूर्व में भारत पर आक्रमण करअफगानिस्तान , पंजाब एवं सिन्ध के बहुत बड़े भाग पर अधिकार कर लिया । उसने शाकल को अपनी राजधानी बनाई इसे ही हिंदी यूनानी या बैटरीयाई यूनानी कहा गया ।
हिंद- यूनानी शासको में सबसे अधिक विख्यात मिनांडर हुआ , इसकी राजधानी साकल (आधुनिक सियालकोट )शिक्षा का प्रमुख केंद्र था।
मिनांडर ने नागसेन से बौद्ध धर्म की दीक्षा ली।
मिनांडर के प्रश्न एवं नागसेन द्वारा दिए गये उत्तर एक पुस्तक के रुप में संग्रहित हैं । उसका नाम मिलिंदपन्हो अर्थात मिलिंद के प्रश्न व मिलिंद प्रश्न है ।
हिंदी यूनानी भारत के सबसे पहले शासक हुए जिनके जारी किए गए सिक्कों के बारे में निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि सिक्के किन किन राज्यों के हैं।
भारत में सबसे पहले हिंद- यूनानियों ने सोने के सिक्के जारी किए ।
हिंदी यूनानी शासको ने भारत के पश्चिमी सीमा प्रांत में यूनान की प्राचीन कला चलाई जिसे हेलेनिसटिक आर्ट कहते हैं भारत में गांधार कला इसका उत्तम उदाहरण है ।
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