Wednesday, September 20, 2017

शक

यूनानियों के बाद शक आए । शको की 5 शाखाएं थी। और हर शाखा की राजधानी भारत औरअफगानिस्तान के अलग-अलग भागों में स्थित थी।

पहली शाखा ने अफगानिस्तान

दूसरी शाखा ने पंजाब

तीसरी शाखा नियम मथुरा

चौथी शाखा ने पश्चिमी भारत

पांचवी शाखा ने उत्तरी दक्कन पर प्रभुत्व स्थापित किया ।

शक मूलत: मध्य एशिया  के निवासी थे  जो चारागाह की खोज में भारत आए।

58 ईसवी पूर्व में उज्जैन के एक स्थानीय राजा ने शको को पराजित कर  के बाहर खदेड़ दिया और विक्रमादित्य की उपाधि धारण की ।

शको पर विजय के उपलक्ष्य में 58 ई. पूर्व में एक नया संवत विक्रम संवत के नाम से प्रारंभ हुआ ।

इसी समय से विक्रमादित्य एक लोकप्रिय उपाधि बन गई जिनकी संख्या भारतीय इतिहास में 14 तक पहुंच गई ।

गुप्त सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय सबसे अधिक विख्यात विक्रमादित्य थे।

शको  की अन्य शाखाओं की तुलना में दक्षिण भारत में प्रभुत्व स्थापित करने वाली शाखा ने सबसे लंबे अरसे तक शासन किया। ( 400 सालो तक )

गुजरात में चल रही समुद्री व्यापार से यह शाखा काफी लाभवानित हुई । और  भारी संख्या में चांदी के सिक्के जारी किए।

शकों का सबसे प्रतापी शासक रुद्रदामन प्रथम था , जिसका शासन (130 से 150 ईसवी )  गुजरात के बड़े भाग पर था ।

उसने काठियावाड़ की अर्द्धशुष्क  सुदर्शन झील (मौर्य द्वारा निर्मित ) का जीर्णोद्धार कराया।

रुद्रदामन संस्कृत का बड़ा प्रेमी था उसने ही सबसे पहले विशुद्ध संस्कृत भाषा में लम्बा  अभिलेख (गिरनार अभिलेख ) जारी किया जिसके पहले के सभी अभिलेख प्राकृत भाषा में रचित है भारत में शक राजा अपने को क्षत्रप कहते थे।

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