उत्सर्जन- जीवो के शरीर से उपापचयी प्रक्रमओं बने विषैले पदार्थ का निष्कासन ही उत्सर्जन कहलाता है मनुष्य में नाइट्रोजन उत्सर्जी पदार्थों जैसे यूरिया अमोनिया यूरिक अम्ल आदि का निष्कासन होता है।
प्रमुख उत्सर्जी अंग -
◆ वृक (kidney)
◆ त्वचा ( skin)
◆ यकृत (liver)
◆ फेफड़ा ( lungs )
1. वृक्क - मनुष्य एवं अन्य स्तनधारीओं में मुख्य उत्सर्जी अंग वृक्क ही होता है । मनुष्य में एक जोड़ा वृक्क पाया जाता है । इसका वजन 140 ग्राम होता है वृक्क के 2 भाग होते हैं ।
बाहरी भाग का कॉर्टेक्स तथा भीतरी भाग मेडुला कहलाता है।
प्रोटोजोआ एवं अमीबा हिस्टोलिटिका का संक्रमण मनु लगभग 13000000 वृक्क नलिकाओं से मिलकर बना है।
वृक्क के प्रमुख कार्य -
रक्त के प्लाज्मा को छानकर शुद्ध बनाना अनावश्यक तथा अनुपयोगी पदार्थों को जल की कुछ मात्रा के साथ मूत्र रूप बनाकर बाहर निकालना तथा रुधिर की आपूर्ति एवं अंगों की तुलना में बहुत अधिक मात्रा में करना ।
प्रति मिनट औसतन 125 मिली अर्थात दिन भर में लगभग 180 लीटर रक्त का निष्पादन करती है 1.45 लीटर मूत्र रोजाना बनाती है तथा बाकी निस्पंदन वापस रक्त में अवशोषित कर दिया जाता है।
मूत्र में 95% जल प्रतिशत 2% लवण तथा 2.3% यूरिया तथा 0.3% यूरिक अम्ल होता है तथा नाइट्रोजन पदार्थों के अलावा पेंसिलीन और कुछ मसालों का भी उत्सर्जन होता है
त्वचा-
त्वचा में पाई जाने वाली तैलीय ग्रंथियां एवं स्वेद ग्रंथियों से क्रमशः सीवम वह पसीने का श्रावण होता है।
यकृत-
यकृत आवश्यकता से अधिक अमीनो अम्ल तथा रुधिर की अमोनिया को यूरिया में परिवर्तित कर के उत्सर्जन में प्रमुख भूमिका निभाता है।
फेफड़ा-
फेफड़ा गैसीय पदार्थ कार्बन डाइऑक्साइड और जलवाष्प का उत्सर्जन करता है।
कुछ पदार्थ जैसे लहसुन प्याज और कुछ मसालों जिसमें वाष्पशील घटक होते हैं उनका भी उत्सर्जन करता है।
विभिन्न जन्तु एवम उनमें उत्सर्जन -
एक कोशकीय - विसरण द्वारा
पोरीफेरा - विशिष्ट नलिका तन्त्र द्वारा
सिलेन्ट्रेट्स - सीधे कोशिकाओं द्वारा
चपटे कृमि - जवालकोशिकाओ द्वारा
एनेलिडा - वृक्क द्वारा
आर्थोपोडस - नैल्पिथियन नलिकाओं द्वारा
मोलस्का - मूत्र अंग द्वारा
कशेरुकी - वृक्क द्वारा
प्रमुख उत्सर्जी अंग -
◆ वृक (kidney)
◆ त्वचा ( skin)
◆ यकृत (liver)
◆ फेफड़ा ( lungs )
1. वृक्क - मनुष्य एवं अन्य स्तनधारीओं में मुख्य उत्सर्जी अंग वृक्क ही होता है । मनुष्य में एक जोड़ा वृक्क पाया जाता है । इसका वजन 140 ग्राम होता है वृक्क के 2 भाग होते हैं ।
बाहरी भाग का कॉर्टेक्स तथा भीतरी भाग मेडुला कहलाता है।
प्रोटोजोआ एवं अमीबा हिस्टोलिटिका का संक्रमण मनु लगभग 13000000 वृक्क नलिकाओं से मिलकर बना है।
रक्त के प्लाज्मा को छानकर शुद्ध बनाना अनावश्यक तथा अनुपयोगी पदार्थों को जल की कुछ मात्रा के साथ मूत्र रूप बनाकर बाहर निकालना तथा रुधिर की आपूर्ति एवं अंगों की तुलना में बहुत अधिक मात्रा में करना ।
प्रति मिनट औसतन 125 मिली अर्थात दिन भर में लगभग 180 लीटर रक्त का निष्पादन करती है 1.45 लीटर मूत्र रोजाना बनाती है तथा बाकी निस्पंदन वापस रक्त में अवशोषित कर दिया जाता है।
मूत्र में 95% जल प्रतिशत 2% लवण तथा 2.3% यूरिया तथा 0.3% यूरिक अम्ल होता है तथा नाइट्रोजन पदार्थों के अलावा पेंसिलीन और कुछ मसालों का भी उत्सर्जन होता है
त्वचा-
त्वचा में पाई जाने वाली तैलीय ग्रंथियां एवं स्वेद ग्रंथियों से क्रमशः सीवम वह पसीने का श्रावण होता है।
यकृत-
यकृत आवश्यकता से अधिक अमीनो अम्ल तथा रुधिर की अमोनिया को यूरिया में परिवर्तित कर के उत्सर्जन में प्रमुख भूमिका निभाता है।
फेफड़ा-
फेफड़ा गैसीय पदार्थ कार्बन डाइऑक्साइड और जलवाष्प का उत्सर्जन करता है।
कुछ पदार्थ जैसे लहसुन प्याज और कुछ मसालों जिसमें वाष्पशील घटक होते हैं उनका भी उत्सर्जन करता है।
विभिन्न जन्तु एवम उनमें उत्सर्जन -
एक कोशकीय - विसरण द्वारा
पोरीफेरा - विशिष्ट नलिका तन्त्र द्वारा
सिलेन्ट्रेट्स - सीधे कोशिकाओं द्वारा
चपटे कृमि - जवालकोशिकाओ द्वारा
एनेलिडा - वृक्क द्वारा
आर्थोपोडस - नैल्पिथियन नलिकाओं द्वारा
मोलस्का - मूत्र अंग द्वारा
कशेरुकी - वृक्क द्वारा
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