पृथ्वी की घूर्णन गति अथवा दैनिक गति -पृथ्वी का घूर्णन 24 घंटे में पूर्ण होता है जिसे पृथ्वी की दैनिक गति कहते हैं।
यह दैनिक गति दिन व रात के घटित होने के लिए जिम्मेदार होती है। पृथ्वी को प्रकाश व ऊष्मा की प्राप्ति सूर्य से होती है ,अतः घूर्णन करती हुई पृथ्वी के प्रत्येक भाग में एक निश्चित अवधि के लिए सूर्य का प्रकाश पहुंचता है । जिस भाग में सूर्य प्रकाश पहुंचता है वहां दिन तथा सूर्य प्रकाश की अनुपस्थिति वाले भाग में रात होती है।
पृथ्वी के घूर्णन के कारण सभी भागों में क्रमिक रूप से दिन व रात होते है।
ग्लोब पर वह वृत जो दिन तथा रात को विभाजित करता है उसे प्रदीप्त वृत्त कहते हैं। पृथ्वी घूर्णन करना बंद कर दे तो उसका आधा भाग प्रकाश तथा आधा अंधकार में ही रहेगा ।पृथ्वी के घूर्णन की गणना तारो और सूर्य के संदर्भ में की जाती है ।
जब यह गणना तारों के संदर्भ में की जाती है तो उसे नक्षत्र दिवस कहा जाता है । जब सूर्य के सापेक्ष की जाती है तो उसे सौर दिवस कहा जाता है।
सौर दिवस का समय काल 24 घंटा तथा नक्षत्र दिवस का समय काल 23 घंटा 56 मिनट होता है दोनों के मध्य 4 मिनट का अंतर पृथ्वी के घूर्णन के कारण व सूर्य व पृथ्वी के बदलती स्थिति के कारण होता है।
यह दैनिक गति दिन व रात के घटित होने के लिए जिम्मेदार होती है। पृथ्वी को प्रकाश व ऊष्मा की प्राप्ति सूर्य से होती है ,अतः घूर्णन करती हुई पृथ्वी के प्रत्येक भाग में एक निश्चित अवधि के लिए सूर्य का प्रकाश पहुंचता है । जिस भाग में सूर्य प्रकाश पहुंचता है वहां दिन तथा सूर्य प्रकाश की अनुपस्थिति वाले भाग में रात होती है।
पृथ्वी के घूर्णन के कारण सभी भागों में क्रमिक रूप से दिन व रात होते है।
ग्लोब पर वह वृत जो दिन तथा रात को विभाजित करता है उसे प्रदीप्त वृत्त कहते हैं। पृथ्वी घूर्णन करना बंद कर दे तो उसका आधा भाग प्रकाश तथा आधा अंधकार में ही रहेगा ।पृथ्वी के घूर्णन की गणना तारो और सूर्य के संदर्भ में की जाती है ।
जब यह गणना तारों के संदर्भ में की जाती है तो उसे नक्षत्र दिवस कहा जाता है । जब सूर्य के सापेक्ष की जाती है तो उसे सौर दिवस कहा जाता है।
सौर दिवस का समय काल 24 घंटा तथा नक्षत्र दिवस का समय काल 23 घंटा 56 मिनट होता है दोनों के मध्य 4 मिनट का अंतर पृथ्वी के घूर्णन के कारण व सूर्य व पृथ्वी के बदलती स्थिति के कारण होता है।
पृथ्वी की परिक्रमण गति अथवा वार्षिक गति -
पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा लगभग 365 दिन व 6 घंटे में पूर्ण करती है जिसे पृथ्वी की वार्षिक गति भी कहते हैं।
1 वर्ष में 365 दिन की अवधि पृथ्वी के परिक्रमण काल के आधार पर होती है शेष 6 घंटे की अवधि 4 वर्षों में 24 घंटे के रूप में एक दिन पूर्ण करती है इस प्रकार हर चौथे वर्ष में 366 दिन होते हैं जिसे अधि वर्ष कहते हैं । यह दिन फरवरी माह में जोड़ा जाता है । अतः हर चौथे वर्ष फरवरी में 29 दिन होते हैं।
परिक्रमण करती हुई पृथ्वी जब सूर्य के अत्यधिक निकट होती है तब इस स्थिति को उपसौर कहते हैं यह स्थिति 3 जनवरी को होती है ।
पृथ्वी का परिक्रमण के दौरान सूर्य से अधिकतम दूरी पर होती है तब इस स्थिति को अपसौर कहते हैं ऐसी स्थिति 4 जुलाई को होती है ।
पृथ्वी का अक्ष अपने परिक्रमण मार्ग पर सदैव ही एक ओर झुका रहता है जिस कारण उत्तरी गोलार्द्ध में 6 महीने सूर्य के सम्मुख रहता है इस स्थिति में उत्तरी गोलार्ध का अधिकांश भाग सूर्य के प्रकाश में रहता है परिणाम स्वरुप यहां दिन बड़ी तथा रातें छोटी होती हैं और उत्तरी ध्रुव पर हमेशा दिन रहता है इस समय दक्षिणी गोलार्द्ध सूर्य से दूर रहता है। अतः यहां की रातें बड़ी होती और दिन छोटे होते हैं। और दक्षिण ध्रुव पर हमेशा रात रहती है जब दक्षिणी गोलार्ध सूर्य की ओर रहता है तब इसके विपरीत की स्थिति होती है
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