Tuesday, January 30, 2018

रक्त

रक्त -मानव शरीर में संचरण करने वाला तरल पदार्थ जो शिराओं के द्वारा ह्दय में जमा होता है और धमनियों के द्वारा पुन: ह्दय से संपूर्ण शरीर में परिसंचरित होता है, रक्त कहलाता है। रक्त वाहिनियों में प्रवाहित होने वाला रक्त प्राय: गाढ़ा, थोड़ा-सा चिपचिपा और लाल रंग का होता है। यह एक जीवित ऊतक है। रक्त, प्लाज्मा और रक्त कणों से मिल कर बना होता है। प्लाज्मा एक निर्जीव और तरत माध्यम है, जिसमें रक्त कण तैरते रहते हैं।

प्लाज्मा के माध्यम से ही रक्त के कण सम्पूर्ण शरीर में पहुँचते रहते हैं। ‘रक्त परिसचंरण सस्थान’ मानव शरीर का वह परिवहन तन्त्र है, जिसके द्वारा आहार, ऑक्सीजन, पानी एवं अन्य सभी आवश्यक पदार्थ ऊतक कोशिकाओं तक पहुँचते हैं और वहाँ के व्यर्थ पदार्थ ले जाये जाते हैं। इसमें रक्त, हृदय एवं रुधिर-वाहिनियों का समावेश होता है।

रक्त - प्लाज्मा और रक्त कोशिकाओं से मिल कर बना होता है। रक्त में 55% प्लाज्मा और 45% रक्त कोशिकाएं होती है।

प्लाजमा - प्लाजमा में 90 % जल एवं 10 % में प्रोटीन, यूरिया, सोडियम , फास्फेट , बाईकर्बोनेट्स आदि होते हैं।

प्लाजमा का कार्य शरीर के ताप को नियंत्रित करना एवं घाव भरना होता है।

रक्त कोशिकाएं - रक्त कोशिकाएं 3 प्रकार की होती है

● लाल रक्त कोशिकाएं ( RBC )
● श्वेत रक्त कोशिकाएं ( WBC )
● प्लेटलेट्स

लाल रक्त कोशिका - लाल रक्त कोशिकाओं का जीवनकाल 120 दिन होता है।
इनका निर्माण अस्थिमज्जा में होता है । और इनकी मृत्यु प्लीहा में होती है जिसे ब्लड बैंक भी कहा जाता है।

लाल रक्त कोशिका हीमोग्लोबिन के कारण लाल होती है जो आयरन से बनती है ।
लाल रक्त कोशिका में केन्द्रक नही पाए जाते हैं । केन्द्रक न होने के कारण किसी भी प्रकार के न्यूक्लिक एसिड नही होते हैं अर्थात DNA और RNA नही पाया जाता ।

लाल रक्त कणिकाओं द्वारा ऑक्सीजन और कार्बनडाईऑक्साइड का संवहन किया जाता है।
जब हम श्वास के रुप में वायु ग्रहण करते है तो RBC द्वारा केवल ऑक्सीजन को ग्रहण करती है बाकी गैसों को नही किन्तु ऑक्सीजन से अधिक सक्रिय गैस होने पर उनका वहन करने लगती है ।

उदाहरण - जब हम वायु के साथ कार्बनमोनोऑक्साइड   को ग्रहण करते हैं तो RBC से आक्सीजन की जगह उसका वहन करने लगते हैं । यह हीमोग्लोबिन से क्रिया करके के कार्बोअक्सी हीमोग्लोबिन बनाता है जो आक्सीजन को ग्रहण करने से रोकता है जिससे घुटन , बेहोशी या मृत्यु हो सकती है।

किसी भी व्यक्ति की कार्यक्षमता उसके अंगों में पहुँचने वाले आक्सीजन की मात्रा पर निर्भर करता है । और ऑक्सीजन का वहन RBC करती है । RBC का एक अणु आक्सीजन के 4 अणु को ले जाने में सक्षम होता है।

श्वेत रक्त कोशिकाएं - श्वेत रक्त कोशिकाओं का जीवन काल 5 से 7 दिन होता है । इनका निर्माण अस्थिमज्जा एवं मृत्यु लीवर में होती है । इनका मुख्य कार्य शरीर को रोगों से बचाना होता है।

लिम्फोसाइट्स - शरीर को रोगों से बचाता है।

मोनो साइट्स - घाव को भरता है।

विटामिन ए WBC के निर्माण में सहायक है।

प्लेटलेट्स -  ये अति सूक्ष्म, केन्द्रकविहीन, संकुचनशील, गोल या अण्डाकार, उभयोत्तर एवं प्लेट के आकार की होती हैं। इनमें 15% वसा 50% प्रोटीन होती है। इनका कार्य क्षतिग्रस्त भाग से बहते हुए रक्त का थक्का ज़माना है। थक्का जमने से उसे स्थान से रुधिर का बहना बन्द हो जाता है। इनका जीवनकाल 1-8 या 10 दिन होता है।

रक्त का  थक्का जमना -  रक्त का थक्का फाइब्रोजन प्रोटीन के प्रोथोमबिन से मिलकर बनता है जिसमे विटामिन k उत्प्रेरक का कार्य करता है।

फाइब्रोजन + प्रोथोमबिन = थ्रोमबीन का जाल बनता है जिसमे रक्त के कण फस कर थक्का बना लेते हैं।

इस पूरी प्रकिया में 3 से 5 मिनट का समय लगता है । कुछ लोगो मे हीमोफीलिया रोग के कारण थक्का नही जमता या देरी से जमता है।

हेपेरिन प्रोटीन की वजह से शरीर मे रक्त तरल बना रहता है। यह प्रकृतिक रूप से रक्त में ही पायी जाती है।

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