विटामिन की खोज एक डच जीवाणु विशेषज्ञ, क्रिश्चियान एइकमैन (1858-1930) द्वारा अचानक ही हो गई थी। उन्होंने सबसे पहले ध्यान दिया कि जो मुर्गियां चावल के दाने खाती थीं वे बीमार पड़ गईं।
उन्होंने यह कारण खोज निकाला कि अनाज की ऊपरी सतह को यदि हटा दिया जाए तो उसमें मौजूद रसायन भी निकल जाते हैं जिसे हम विटामिन कहते हैं।
जब एइकमैन 1886 में इंडोनेशिया दौरे पर ‘बेरी-बेरी’ नामक महामारी की पड़ताल करने गए तो उनके दावों को और अधिक सच माना गया। बाद में वह यह साबित करने में सक्षम रहे कि ‘बेरी-बेरी’ का रोग डाइट की कमी से होता है। इससे विटामिन्स की खोज हुई और यह बात सामने आई कि विटामिन सेहत के लिए बहुत जरूरी है।
एइकमैन, हालांकि पूरी तरह से विटामिन्स के बारे में नहीं समझ पाए। बाद में फैडरिक हॉपकिन जो ब्रिटिश वैज्ञानिक थे, ने इस सिद्धांत को समझा कि मानव शरीर को कुछ मात्रा में ऐसे रसायनों की आवश्यकता है जो उन्हें सेहतमंद रख सकें।
उन्होंने यह कहा कि रिकेट्स या स्कर्वी जैसे रोगों से बचा जा सकता है यदि भोजन में या किसी दूसरी चीज में जरूरी रसायन यानी कि विटामिन्स लिए जाएं। ऐसा बिल्कुल सही माना ग
या और विटामिन्स के प्रकारों को नाम भी दिए गए।
वास्तव में विटामिन्स के कई स्रोत तथा उपयोग हैं जैसे विटामिन ‘ए’, मक्खन, दूध, अंडे, हरी सब्जियों और मछली में पाया जाता है जो बीमारियों से लडऩे में सहायक होते हैं। विटामिन ‘बी’ भूख बढ़ाता है। यह तंत्रिकाओं तथा त्वचा में शक्ति बढ़ाता है। यह यीस्ट, मीट तथा अलग-अलग अनाजों में पाया जाता है। विटामिन ‘सी’ खून साफ करने में सहायक है तथा जुकाम से सुरक्षा प्रदान करता है। यह मुख्य तौर पर फल जैसे संतरे तथा नींबू आदि में पाया जाता है।
हड्डियों की मजबूती के लिए विटामिन ‘डी’ की आवश्यकता होती है जो कॉड मछली के तेल तथा अंडे की जर्दी आदि में पाया जाता है। विटामिन ‘ई’ मोटे अनाजों और अन्य प्रकार के भोजन में पाया जाता है। विटामिन ‘के’ खून के बहाव को रोकने और क्लॉट के लिए विशेष रूप से जरूरी है। अत: चोट लगने पर खून के रिसाव को रोकने के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है। यह बहुत सी चीजों में मौजूद होता है जैसे लिवर तथा हरी सब्जियों इत्यादि में।
ऊपर दिए गए तथ्यों से हमें पता चलता है कि विटामिन्स हमारी सेहत के लिए बहुत जरूरी हैं। इस महत्वपूर्ण खोज के लिए क्रिश्चियान एइकमैन और फैडरिक हॉपकिन को 1929 में नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था।
विटामिन जटिल कार्बनिक पदार्थ होते हैं तथा शरीर की उपापचयी क्रियाओं में भाग लेते हैं। इन्हें वृद्धिकारक भी कहते हैं। इनकी कमी से अपूर्णता रोग हो जाते हैं। ये कार्बन ,
हाइड्रोजन , ऑक्सीजन, नाइट्रोजन तथा
गन्धक आदि तत्वों से बने सक्रिय एवं जटिल कार्बनिक यौगिक हैं। ये अल्पांश में हमारे शरीर को स्वस्थ एवं निरोग रखने के लिए आवश्यक होते हैं। इनकी कमी से अनेक रोग हो जाते हैं।
इन्हें दो वर्गों में विभक्त किया जाता है-
(1) जल में घुलनशील विटामिन, जैसे- विटामिन 'B', 'C'।
(2) वसा में घुलनशील विटामिन, जैसे-
विटामिन 'A' , ' D ', 'K' आदि।
विटामिन की खोज एफ.जी. हाफकिन्स ने की थी, परन्तु इसे विटामिन का नाम फुन्क महोदय ने दिया।प्रश्नों में बिटामिन का खोज कर्ता फुन्क को ही माना जाता है । इसने विटामिन की खोज 1911 में की थी।
विटामिन का निर्माण अलग अलग अंगो में होता है
विटामिन कार्बनिक यौगिक है, जो शरीर के विकास एवं रोगों से रक्षा के लिए आवश्यक है। ये ऊतकों में एन्जाइम का निर्माण करते है। विटामिन "डी" हमारे शरीर में स्वतः बनता है
जबकि विटामिन "के" आंत्र में उपस्थित ‘कोलोन’ नामक वैक्टीरिया बनाता है।
विटामिन - रासायनिक नाम
(1) विटामिन A - रेटिनॉल
(2) विटामिन B1 - थायमिन
(3) विटामिन B2 - राइबोफ्लेविन
(4) विटामिन B3 - पैन्टोथेनिक अम्ल
(5) विटामिन B5 - नियासिन/ निकोटिनैमाइड
(6) विटामिन B6 - पाइरीडॉक्सिन
(7) विटामिन बी7 - बायोटीन
(8) विटामिन B12 - सायनोकाबालामिन
(9) फ़ोलिक अम्ल - टेरोइल ग्लूटैमिक
(10) विटामिन C - एस्कार्बिक अम्ल
(11) विटामिन D - कैल्सिफेराल
(12) विटामिन E - टोकोफेरोल
(13) विटामिन K - फिलोक्विनोन
धन्यवाद आप का जो आप ऐसे रोचक और ज्ञानवर्धक
ReplyDeleteतथ्य लते है
हम आगे भी ऐसे रोचक चीजे आप तक पहुचाने का प्रयास करेंगे ।
ReplyDeleteधन्यवाद