वर्ण- भाषा की सबसे छोटी इकाई अथवा ध्वनि को वर्ण कहते है ।
वर्णमाला - वर्ण के व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहा जाता है ।
हिंदी वर्णमाला में कुल 52 वर्ण तथा लेखन के लिए 54 वर्ण है ।
जिनमे उच्चारण के अनुसार 10 स्वर ( अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ ) तथा लेखन के लिए 13 स्वर ( अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अ: )
जिनमे उच्चारण के अनुसार 10 स्वर ( अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ ) तथा लेखन के लिए 13 स्वर ( अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अ: )
तथ 35 व्यंजन एवं 4 संयुक्त व्यंजन होते है ।
वर्णमाला के स्वर
वर्णमाला के स्वर
वर्णमाला के व्यंजन
क वर्ग -क, ख, ग, घ, ङ
च वर्ग -च, छ, ज, झ, ञ
ट वर्ग- ट, ठ, ड, ढ, ण, (ड़,) (ढ़)
त वर्ग - त, थ, द, ध, न
प वर्ग - प, फ, ब, भ, म
अन्तःस्थ -य, र, ल, व
उष्ण -श, ष, स
संयुक्त व्यंजन क्ष, त्र, ज्ञ, श्र
क वर्ग -क, ख, ग, घ, ङ
च वर्ग -च, छ, ज, झ, ञ
ट वर्ग- ट, ठ, ड, ढ, ण, (ड़,) (ढ़)
त वर्ग - त, थ, द, ध, न
प वर्ग - प, फ, ब, भ, म
अन्तःस्थ -य, र, ल, व
उष्ण -श, ष, स
संयुक्त व्यंजन क्ष, त्र, ज्ञ, श्र
स्वर का वर्गीकरण
स्वरों को निम्न आधारों पर वर्गीकृत किया गया है ।
(1) उच्चारण काल के आधार पर -
हस्व स्वर - ऐसे स्वर जिनके उच्चारण में कम समय लगता है ( जैसे -अ, इ , उ )
दीर्घ स्वर - ऐसे स्वर जिनके उच्चारण में अधिक ( दो हस्व स्वर के बराबर ) समय लगता है । ( जैसे - आ, ई, ऊ, ए, ऐ , औ, ऑ )
प्लुत स्वर - इनके उच्चारण में दीर्घ स्वर से भी अधिक समय लगता है
(2) जीभ के प्रयोग के आधार पर -
अग्र स्वर - जिनके उच्चारण में जीभ के अग्रभाग का प्रयोग होता है ( जैसे - इ, ई, ए, ऐ )
मध्य स्वर - जिन स्वरों के उच्चारण में जीभ का मध्य भाग प्रयोग होता है ( जैसे - अ )
पश्च स्वर - इन स्वरों के उच्चारण में जीभ के पश्च भाग का प्रयोग होता है । ( जैसे - आ, उ, ऊ, ओ, औ, ऑ )
(3) मुख द्वार ( मुख विवर ) खुलने के आधार पर -
विवृत - जिन स्वरों के उच्चारण में पूरा मुह खुलता है ( जैसे - आ )
अर्द्ध विवृत - इन स्वरों के उच्चारण में आधा मुह खुलता है ( जैसे - अ, ऐ, औ, ऑ )
अर्द्ध संवृत - ऐसे स्वर जिनके उच्चारण में आधा मुह बंद रहता है ( जैसे - ए , ओ )
संवृत - इन स्वरों के उच्चारण मुह लगभग बंद ही रहता है ( जैसे - इ, ई, उ , ऊ )
(4) ओठो की स्थिती के आधार पर-
आवृत मुखी - जिन स्वरों के उच्चारण में ओठ गोलाकार नही बनते ( जैसे - अ, आ, इ, ई, ए, ऐ )
वृत्त मुखी - इन के उच्चारण में ओठ गोलाकार हो जाते है ( जैसे - उ, ऊ, ओ, औ, ऑ )
(5) हवा के नाक व् मुह से निकलने के आधार पर -
निरनुनासिक स्वर - ऐसे स्वर जिनके उच्चारण में हवा केवल मुह से निकलती है ( जैसे - अ, आ, इ )
अनुनासिक स्वर - ऐसे स्वर जिनके उच्चारण में नाक एवं मुह दोनों से हवा निकलती है ( जैसे - अ, ऑ )
(6)घोषत्व के आधार पर सभी स्वर घोषत्व होते है इनके उच्चारण में स्वरतन्त्रियो में श्वास कम्पन होता है।
व्यंजन - स्वर की सहायता से बोले जाने वाले वर्ण व्यंजन कहलाता है प्रत्येक व्यंजन में अ स्वर मिला होता है ।
व्यंजन को 3 भागो में बांटा गया है
(1) स्पर्श व्यंजन - जिन व्यंजनो के उच्चारण करते समय हवा फेफड़ो से निकलते समय किसी स्थान विशेष ( कंठ , तालू, मूर्धा, दांत, या होठ ,) पर स्पर्श हो ।
कंठय - ऐसे व्यंजनो के उच्चारण में वायु कंठ में स्पर्श करती है ( जैसे - क, ख, ग, घ, ड. )
तालव्य - फेफड़ो से निकली वायु का स्पर्श तालू में होता है ( जैसे - च, छ, ज, झ, ञ )
मूर्धन्य - वायु मूर्धा को स्पर्श करती है ।
( जैसे - ट, ठ, ड़, ढ़, ण )
( जैसे - ट, ठ, ड़, ढ़, ण )
दन्त्य - वायु दांत को स्पर्श करती है
( जैसे - त, थ, द, ध, न )
( जैसे - त, थ, द, ध, न )
ओष्ठय - उच्चारण के समय वायु ओष्ठ को स्पर्श करती है ( जैसे - प, फ, ब, भ, म )
(2) अन्तस्थ व्यंजन - जिन वर्णों का उच्चारण स्वर और व्यंजन के बीच होता है उसे अन्तस्थ व्यंजन कहा जाता है ।
( जैसे - य, र, ल, व )
( जैसे - य, र, ल, व )
(3) उष्म / संघर्षी - जिन व्यंजनों के उच्चारण में वायु द्वारा मुख के किसी विशेष स्थान पर रगड से गर्मी उत्पन्न होती है उसे उष्म या संघर्षी व्यंजन कहा जाता है ।
( जैसे - श, ष, स, ह )
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