Saturday, September 30, 2017

तुगलक वंश ( 1320 - 1398 )

5 सितंबर 1320 ईस्वी में खुशरों खा को पराजित करके गाजी मलिक या तुगलक गाजी,  गयासुद्दीन तुगलक के नाम से 8 सितंबर 1320 ईस्वी को दिल्ली के सिंहासन पर बैठा।
गयासुद्दीन तुगलक ने करीब 29 बार मंगोल आक्रमण को विफल किया।
गयासुद्दीन ने अलाउद्दीन के समय मे लिए  गए अमीरों की भूमि को पुनः लौटा दिया।
इसमें सिंचाई के लिए कुएं एवं नहरों का निर्माण करवाया संभवता नहरों का निर्माण करवाने वाला गयासुद्दीन प्रथम शासक था।
गयासुद्दीन तुगलक ने दिल्ली के समीप स्थित पहाड़ियों पर तुगलकाबाद नाम का एक नया नगर स्थापित किया, रोमन शैली में निर्मित इस नगर में एक दुर्ग का निर्माण भी हुआ इस दुर्ग को छप्पनकोट के नाम से जाना जाता है ।
गयासुद्दीन तुगलक की मृत्यु 1325 ईस्वी में बंगाल के अभियान से लौटते समय जूना खा के द्वारा बनाए लकड़ी के महल में दबकर हो गई ।
गयासुद्दीन के बाद जूना खा मोहम्मद बिन तुगलक के नाम से दिल्ली के सिंहासन पर बैठा ।
मध्यकालीन सभी सुल्तानों में मोहम्मद तुगलक सार्वअधिक शिक्षित,  विद्वान एवं योग्य व्यक्ति था।
मोहम्मद बिन तुगलक को अपनी सनक भरी  परियोजनाओं , क्रूर कृत्य एवं दूसरे के सुख-दुख के प्रति उपेक्षा भाव् रखने के कारण उसे  स्वपनशील, पागल एवं रक्त पिपासु कहा गया ।
मोहम्मद बिन तुगलक ने कृषि के विकास के लिए अमीर ए कोही नामक एक नवीन विभाग की स्थापना की ।
मोहम्मद बिन तुगलक ने अपनी राजधानी दिल्ली से देवगिरी स्थानांतरित की और इसका नाम दौलताबाद रखा ।
सांकेतिक मुद्रा के अंतर्गत मोहम्मद बिन तुगलक ने पीतल (फरिश्ता के अनुसार ) तांबा (बरनी के अनुसार) धातुओं के सिक्के चलवाए जिनका मूल्य चांदी के रुपए टंका के बराबर ही होता था।
अफ्रीकी यात्री इब्नबतूता लगभग 1333 ई में भारत आया सुल्तान ने इसे दिल्ली का काजी नियुक्त किया।
1342 ईस्वी में सुल्तान ने इसे अपने राजदूत के रूप में चीन भेजा इब्नबत्तूता की पुस्तक रेहला में मोहम्मद तुगलक के समय की घटनाओं का वर्णन है इसने अपनी पुस्तक में विदेशी व्यापारियों के आगमन डाक चौकियों की स्थापना यानी डाक व्यवस्था एवं गुप्तचर व्यवस्था के बारे में लिखा ।
मोहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु 20 मार्च 1351 ई में सिंधु जाते समय खट्टा के निकट गोडाल में हो गई।
मोहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में दक्षिण में हरिहर एवं बुक्का नामक दो भाइयों ने 1336 में स्वतंत्र राज्य विजय नगर की स्थापना की ।
महाराष्ट्र में अलाउद्दीन बहमन शाह ने 1347 ई  में स्वतंत्र राज्य बहमनी राज्य की स्थापना की ।
मोहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु पर इतिहासकार बरनी लिखता है अंततः लोगों को उस से मुक्ति मिली और उसे लोगों से ।
मोहम्मद बिन तुगलक शेख अलाउद्दीन का शिष्य था वह सल्तनत का पहला शासक था जो अजमेर में शेख मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह और बहराइच से सलार मसूद गाजी के मकबरे में गया ।
मोहम्मद बिन तुगलक ने बदायूं में मीरन मुलहीम,
दिल्ली के शेख निजामुद्दीन औलिया ,
मुल्तान के शेख रुकनुद्दीन और
अजुधन  के शेख मुल्तान आदि संतो की कब्र पर मकबरे बनवाए।
फिरोज तुगलक का राज्यभिषेक थट्टा के नजदीक 20 मार्च 1351ई को हुआ पुन: फिरोज का राज्यभिषेक दिल्ली में अगस्त 1351 ई में हुआ । खलीफा द्वारा इसे कासिम अमीर उल मोममीन की उपाधि दी गयी ।
राज व्यवस्था के अंतर्गत फिरोज ने अपने शासनकाल में 24 कष्टदायक करों को समाप्त कर केवल चार कर खराज ( लगान) , ख़ुम्स (युद्ध में लूट का माल) एवं जजिया , जकात कर वसूल करने का आदेश दिया।
जाजिया कर ब्राम्हणों भी लागू किया गया । फिरोज तुगलक ने 5 बड़ी नहर का निर्माण कराया।
  फिरोज तुगलक ने 300 नये नगरों की स्थापना की इसमें हिसार, फिरोजाबाद ,फतेहाबाद ,जौनपुर, फिरोजपुर, प्रमुख है ।
इस के शासनकाल में खिजराबाद (टोपरा गाँव )  एवं मेरठ से अशोक की दो स्तंभो को लाकर दिल्ली में स्थापित किया गया ।
सुल्तान फिरोज तुगलक में अनाथ मुस्लिम महिलाओं विधवा को एवं लड़कियों की सहायता के लिए नये विभाग दीवान ऐ खैरात की स्थापना की ।
सल्तनत कालीन  सुल्तानों में फिरोज के शासनकाल में सबसे अधिक दासो की संख्या लगभग एक लाख 80 हजार थी ।
फिरोज तुगलक के समय में दासो  की देखभाल के लिए फिरोज ने एक नए विभाग दीवान ए बंदगान की स्थापना की।
सैन्य पदों को वंशानुगत कर दिया उसने अपनी आत्मकथा फतूहात ए फिरोजशाही की रचना की। इसने जियाउद्दीन बरनी एवम सम्स सिराज अफीफ तो अपना संरक्षण प्रदान किया ।
इसने ज्वालामुखी मंदिर के पुस्तकालय से लूटे गए 1300 ग्रंथों में से कुछ को फारसी के विद्वान अलाउद्दीन द्वारा द्लायते फिरोजशाही नाम से अनुवाद कराया।
इसने  चांदी तांबा मिश्रित सिक्के भारी मात्रा में जारी करें जिन्हे अद्धा एवं भिख कहा जाता था।
फिरोज तुगलक की मृत्यु सितंबर 1388 हो गई।
फिरोज के काल में निर्मित खान ए जहां तेलंगानी के मकबरा की तुलना जेरुशलम में निर्मित उमर के मस्जिद से की जाती है।
सुल्तान फिरोज ने दिल्ली में कोटला फिरोजशाह दुर्ग का निर्माण कराया।
तुगलक वंश का अंतिम शासक नसीरुद्दीन मुहम्मद तुगलक था इसका शासन दिल्ली से पालम तक ही रह गया था ।
तैमूरलंग ने सुल्तान नसीरुद्दीन मुहम्मद तुगलक के समय 1398 में दिल्ली पर आक्रमण किया ।
नसीरुद्दीन के समय में ही मलिकुशर्शक ( पूर्वाधिपति)  की उपाधि धारण कर एक हिजड़ा मलिक सरवर ने जौनपुर में एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना किए।

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