उपसर्ग - उपसर्ग , उप + सर्ग से मिलकर बना है जिसमे उप का अर्थ समीप तथा सर्ग का अर्थ है सृष्टि करना।
अर्थात वह शब्द जो किसी शब्द के समीप आकर नया शब्द बना देता है , उपसर्ग होता है ।
वह शब्द जो किसी शब्द के आगे लग कर उस शब्द में विशेषता ला देता है अथवा उसके अर्थ में परिवर्तन कर देता है , उपसर्ग होता है।
हिंदी के उपसर्गो को निम्न भागो में बांटा गया है।
1. संस्कृत के उपसर्ग ( संख्या 22 )
2. हिन्दी के उपसर्ग ( संख्या 13 )
3. उर्दू और फ़ारसी के उपसर्ग ( संख्या 19 )
4. अंग्रेजी के उपसर्ग
5.उपसर्ग के समान प्रयोग होने वाले संस्कृत के अवयय
संस्कृत के उपसर्ग -
उपसर्ग अर्थ शब्द
अति - अधिक/परे - अत्यन्त, अतीव, अतीन्द्रिय, अत्यधिक, अत्युत्तम।
अधि - मुख्य/श्रेष्ठ- अधिकृत, अध्यक्ष, अधीक्षण, अध्यादेश, अधीन, अध्ययन, अध्यापक।
अनु - पीछे/ समान - अनुज, अनुरूप, अन्वय, अन्वीक्षण, अनूदित, अन्वेक्षण, अनुच्छेद।
अप - विपरीत/बुरा - अपव्यय, अपकर्ष, अपशकुन, अपेक्षा।
अभि - पास/सामने - अभिभूत, अभ्युदय, अभ्यन्तर, अभ्यास, अभीप्सा, अभीष्ट।
अव - बुरा/ हीन - अवज्ञा,अवतार, अवकाश, अवशेष।
आ - तक/से - आघात, आगार, आगम, आमोद, आतप
उत् - ऊपर/ श्रेष्ठ - उज्जवल, उदय, उत्तम, उद्धार, उच्छ्वास, उल्लेख।
उप - समीप - उपवन, उपेक्षा, उपाधि, उपहार, उपाध्यक्ष।
दुर् - बुरा/ कठिन - दुरूह, दुर्गुण, दुरवस्था, दुराशा, दुर्दशा।
दुस् - बुरा/ कठिन - दुष्कर, दुस्साध्य, दुस्साहस, दुश्शासन।
नि - बिना/विशेष - न्यून, न्याय, न्यास, निकर, निषेध, निषिद्ध।
निर् - बिना/बाहर - निरामिष, निरवलम्ब, निर्धन, नीरोग, नीरस, नीरीह।
निस् - बिना/बाहर - निश्छल, निष्काम, निष्फल,निस्सन्देह।
प्र - आगे/अधिक - प्रयत्न, प्रारम्भ, प्रोज्जवल, प्रेत, प्राचार्य,प्रार्थी।
परा - पीछे/अधिक - पराक्रम, पराविद्या, परावर्तन,पराकाष्ठा।
परि - चारों ओर - पर्याप्त, पर्यटन, पर्यन्त, परिमाण, परिच्छेद,पर्यावरण।
प्रति - प्रत्येक - प्रत्येक, प्रतीक्षा, प्रत्युत्तर, प्रत्याशा, प्रतीति।
वि - विशेष/भिन्न - विलय, व्यर्थ, व्यवहार, व्यायाम,व्यंजन,व्याधि,व्यसन,व्यूह।
सु - अच्छा/सरल - सुगन्ध, स्वागत, स्वल्प, सूक्ति, सुलभ।
सम् - पूर्ण शुद्ध - संकल्प, संशय, संयोग, संलग्न, सन्तोष।
अन् - नहीं/बुरा - अनुपम, अनन्य, अनीह, अनागत, अनुचित, अनुपयोगी।
अंग्रेजी के उपसर्ग -
अर्थात वह शब्द जो किसी शब्द के समीप आकर नया शब्द बना देता है , उपसर्ग होता है ।
वह शब्द जो किसी शब्द के आगे लग कर उस शब्द में विशेषता ला देता है अथवा उसके अर्थ में परिवर्तन कर देता है , उपसर्ग होता है।
हिंदी के उपसर्गो को निम्न भागो में बांटा गया है।
1. संस्कृत के उपसर्ग ( संख्या 22 )
2. हिन्दी के उपसर्ग ( संख्या 13 )
3. उर्दू और फ़ारसी के उपसर्ग ( संख्या 19 )
4. अंग्रेजी के उपसर्ग
5.उपसर्ग के समान प्रयोग होने वाले संस्कृत के अवयय
संस्कृत के उपसर्ग -
उपसर्ग अर्थ शब्द
अति - अधिक/परे - अत्यन्त, अतीव, अतीन्द्रिय, अत्यधिक, अत्युत्तम।
अधि - मुख्य/श्रेष्ठ- अधिकृत, अध्यक्ष, अधीक्षण, अध्यादेश, अधीन, अध्ययन, अध्यापक।
अनु - पीछे/ समान - अनुज, अनुरूप, अन्वय, अन्वीक्षण, अनूदित, अन्वेक्षण, अनुच्छेद।
अप - विपरीत/बुरा - अपव्यय, अपकर्ष, अपशकुन, अपेक्षा।
अभि - पास/सामने - अभिभूत, अभ्युदय, अभ्यन्तर, अभ्यास, अभीप्सा, अभीष्ट।
अव - बुरा/ हीन - अवज्ञा,अवतार, अवकाश, अवशेष।
आ - तक/से - आघात, आगार, आगम, आमोद, आतप
उत् - ऊपर/ श्रेष्ठ - उज्जवल, उदय, उत्तम, उद्धार, उच्छ्वास, उल्लेख।
उप - समीप - उपवन, उपेक्षा, उपाधि, उपहार, उपाध्यक्ष।
दुर् - बुरा/ कठिन - दुरूह, दुर्गुण, दुरवस्था, दुराशा, दुर्दशा।
दुस् - बुरा/ कठिन - दुष्कर, दुस्साध्य, दुस्साहस, दुश्शासन।
नि - बिना/विशेष - न्यून, न्याय, न्यास, निकर, निषेध, निषिद्ध।
निर् - बिना/बाहर - निरामिष, निरवलम्ब, निर्धन, नीरोग, नीरस, नीरीह।
निस् - बिना/बाहर - निश्छल, निष्काम, निष्फल,निस्सन्देह।
प्र - आगे/अधिक - प्रयत्न, प्रारम्भ, प्रोज्जवल, प्रेत, प्राचार्य,प्रार्थी।
परा - पीछे/अधिक - पराक्रम, पराविद्या, परावर्तन,पराकाष्ठा।
परि - चारों ओर - पर्याप्त, पर्यटन, पर्यन्त, परिमाण, परिच्छेद,पर्यावरण।
प्रति - प्रत्येक - प्रत्येक, प्रतीक्षा, प्रत्युत्तर, प्रत्याशा, प्रतीति।
वि - विशेष/भिन्न - विलय, व्यर्थ, व्यवहार, व्यायाम,व्यंजन,व्याधि,व्यसन,व्यूह।
सु - अच्छा/सरल - सुगन्ध, स्वागत, स्वल्प, सूक्ति, सुलभ।
सम् - पूर्ण शुद्ध - संकल्प, संशय, संयोग, संलग्न, सन्तोष।
अन् - नहीं/बुरा - अनुपम, अनन्य, अनीह, अनागत, अनुचित, अनुपयोगी।
हिन्दी के उपसर्ग -
अ - मूल शब्द का विलोम - अज्ञान, अथाह, अलौकिक
- अन - के बिना -अनजान, अनचाहा, अनमना, अनमोल
- अध - आधा - अधपका, अधजला
- औ/अव - बुरा - औसत, अवगुण
- सु/स - अच्छा - सुस्वाद, सजल, सपूत
- कु/क - बुरा - कुरूप, कपूत
- उन - एक कम - उन्नीस, उनन्चास
- बिन - के बिना - बिनदेखा
- नि - का अभाव होना - निरोगी, निडर
- भर - खूब, बहुत, पूरा - भरपूर, भरपेट
दु - कम , बुरा - दुबला , दुलारा
उर्दू अरबी फ़ारसी के उपसर्ग
ला - | बिना | लाचार, लाजवाब, लापरवाह, लापता इत्यादि। |
बद | बुरा | बदसूरत, बदनाम, बददिमाग, बदमाश, बदकिस्मत इत्यादि। |
बे | बिना | बेकाम, बेअसर, बेरहम, बेईमान, बेरहम इत्यादि। |
कम | थोड़ा, हीन | कमसिन, कामखयाल, कमज़ोर, कमदिमाग, कमजात, इत्यादि। |
ग़ैर | के बिना, निषेध | गैरकानूनी, गैरजरूरी, ग़ैर हाज़िर, गैर सरकारी, इत्यादि। |
खुश | श्रेष्ठता के अर्थ में | खुशनुमा, खुशगवार, खुशमिज़ाज, खुशबू, खुशदिल, खुशहाल इत्यादि। |
ना | अभाव | नाराज, नालायक, नादनामुमकिन, नादान, नापसन्द, नादान इत्यादि। |
अल | निश्र्चित | अलबत्ता, अलगरज आदि। |
बर | ऊपर, पर, बाहर | बरखास्त, बरदाश्त, बरवक्त इत्यादि। |
बिल | के साथ | बिलआखिर, बिलकुल, बिलवजह |
हम | बराबर, समान | हमउम्र, हमदर्दी, हमपेशा इत्यादि। |
दर | में | दरअसल, दरहक़ीक़त |
फिल/फी | में प्रति | फिलहाल, फीआदमी |
ब | और, अनुसार | बनाम, बदौलत, बदस्तूर, बगैर |
बा | सहित | बाकायदा, बाइज्जत, बाअदब, बामौक़ा |
सर | मुख्य | सरताज, सरदार, सरपंच, सरकार |
बिला | बिना | बिलावजह, बिलाशक |
हर | प्रत्येक | हरदिन हरसाल हरएक हरबार |
उपसर्ग | अर्थ | उपसर्ग से बने शब्द |
---|---|---|
सब | अधीन, नीचे | सब-जज, सब-कमेटी, सब-इंस्पेक्टर |
डिप्टी | सहायक | डिप्टी-कलेक्टर, डिप्टी-रजिस्ट्रार, डिप्टी-मिनिस्टर |
वाइस | सहायक | वाइसराय, वाइस-चांसलर, वाइस-पप्रेसीडेंट |
जनरल | प्रधान | जनरल मैनेजर, जनरल सेक्रेटरी |
चीफ | प्रमुख | चीफ-मिनिस्टर, चीफ-इंजीनियर, चीफ-सेक्रेटरी |
हेड | मुख्य | हेडमास्टर, हेड क्लर्क |
उपसर्ग के समान प्रयुक्त होने वाले संस्कृत के अव्यय -
उपसर्ग | अर्थ | उपसर्ग से बने शब्द |
---|---|---|
अधः | नीचे | अधःपतन, अधोगति, अधोमुखी, अधोलिखित |
अंतः | भीतरी | अंतःकरण, अंतःपुर, अंतर्मन, अंतर्देशीय |
अ | अभाव | अशोक, अकाल, अनीति |
चिर | बहुत देर | चिरंजीवी, चिरकुमार, चिरकाल, चिरायु |
पुनर | फिर | पुनर्जन्म, पुनर्लेखन, पुनर्जीवन |
बहिर | बाहर | बहिर्गमन, बहिर्जगत |
सत | सच्चा | सज्जन, सत्कर्म, सदाचार, सत्कार्य |
पुरा | पुरातन | पुरातत्व, पुरावृत्त |
सम | समान | समकालीन, समदर्शी, समकोण, समकालिक |
सह | साथ | सहकार, सहपाठी, सहयोगी, सहचर |
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