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Friday, October 19, 2018

विद्युत फ्यूज ( electric fuse )


दुर्घटना बस एक तार दूसरे तार में स्पर्श हो जाने, अथवा शॉर्ट सर्किट हो जाने पर लाइन से होकर बिजली की काफी प्रबल धारा बहने लगती है। धारा के प्रबल होने से इतनी अधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है , कि परिपथ में लगे बल्ब, पंखे, टेलीविजन आदि उपकरण खराब हो जाते हैं।  इसलिए आवश्यक है कि परिपथ में विद्युत सामर्थ को एक निश्चित सीमा के अंतर्गत रखा जाए । इन दुर्घटनाओं से बचने के लिए मुख्य लाइन के साथ श्रेणी क्रम में कम गलनांक और अधिक प्रतिरोध वाला एक पतला तार लगा दिया जाता है।  इस तार को फ्यूज तार कहते हैं।



फ्यूज तार ( fuse wire ) का कार्य-  फ्यूज तार कम गलनांक और अधिक प्रतिरोध वाला तार होता है। जब कहीं शॉर्ट सर्किट होती है तो प्रबल धारा बहने से  निम्न गलनांक  होने के कारण गर्म होते ही पिघल जाता है। और विद्युत परिपथ टूट जाता है जिससे धारा बहना बंद हो जाती है । और हमारे महंगे उपकरण खराब होने से बच जाते हैं।



फ्यूज तार - फ्यूज को हमेशा ही फेस वायर के क्रम में जोड़ा जाता है । और फ्यूज का तार कम प्रतिरोध वाला होना चाहिए जैसे कि चांदी तांबा एल्मुनियम इत्यादि। चांदी महंगे होने के कारण इसका इस्तेमाल बहुत ही कम किया जाता है।  लेकिन ज्यादातर लेड ट्रिन एलाय का इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें लेड मात्रा 65% और टीम की मात्रा 37% होती है । फ्यूज तार की विशेषता यह होती है कि उसका गलनांक बिंदु बहुत कम होता है। किसी भी उपकरण में ओवरलोड होने पर यह तार बहुत जल्दी पिघल जाता है और उपकरण की सप्लाई को बंद कर देता है।

कम लोड वाले फ्यूज को निन्म गलनांक वाले धातुओं जैसे टिन व तांबे को मिला कर बनाया जाता है।

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