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Friday, October 19, 2018

विद्युत धारा के उष्मीय प्रभाव के अनुप्रयोग ( Applications of Heating Effect of Electric current)

जल गर्म करने के लिए जल ऊष्मक, इमरसन रॉड ,
खाना पकाने के लिए प्रयुक्त विद्युत स्टोव, कपड़ा प्रेस करने के लिए प्रयुक्त विद्युत इस्तरी, कमरा गर्म करने के लिए प्रयुक्त विकीर्णक आदि उपकरण विद्युत हीटर के ही विभिन्न रूप है और यह सभी विद्युत धारा के उष्मीय प्रभाव पर कार्य करते हैं।


विद्युत हीटर - इसमें मिश्र धातु नाइक्रोम का एक सर्पिलाकार तार लेते हैं ।
तार सर्पिल आकार का लेने से यह लाभ होता है कि तार की काफी लंबाई थोड़े से ही स्थान में आ जाती है और इससे हमें अधिक मात्रा में उष्मा प्राप्त होती है इसे एक चीनी मिट्टी की बनी प्लेट पर खुदे हुए खानो के अंदर व्यवस्थित कर लेते हैं तथा तार के दोनों सिरों को एक प्लग में जोड़ देते हैं। नाइक्रोम का विशिष्ट प्रतिरोध बहुत अधिक होता है तथा यह वायु में ऑक्सीजन के साथ शीघ्र ही क्रिया करके ऑक्साइड नहीं बनाती है अतः इसमें जब विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो तार लाल तप्त तो हो जाता है और इससे ऊष्मा निकलने लगती है। तार में धारा प्रवाहित करने पर इसका ताप 800 सेंटीग्रेड से 1000 सेंटीग्रेड तक हो जाता है।


विद्युत इस्त्री - में नाइक्रोम का तार अभ्रक की चादर पर लिपटा रहता है । जब इस में धारा प्रवाहित की जाती है तो तार लाल तप्त होकर इस्तरी के आधार को गर्म कर देता है । इस्तरी को पकड़ने के लिए एक बैकलाइट का हैंडल लगा होता है बैकलाइट ऊष्मा का कुचालक है।


विद्युत विकीर्णक - विद्युत विकीर्णक  में भी नाइक्रोम का एक सर्किल आकार का तार होता है जो एक चीनी मिट्टी की नलिका पर लपेटा जाता है। नाइक्रोम का विशिष्ट प्रतिरोध बहुत अधिक होता है। जब इस में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो तार लाल तप्त हो जाता है । और इससे ऊष्मा की तरंगों के रूप में कमरों में चारो ओर विकरित होने लगता है।  विकरित उष्मीय तरंगों को कमरे में एक समान फैलाने के लिए इसमें फिलामेंट को एक अवतल दर्पण की फोकस पर रखते हैं । दर्पण के परावर्तक किरणें समांतर होती हैं और यह पूरे कमरे में फैल जाते हैं। यह अवतल दर्पण एक हल्की धातु का बना होता है जिस पर निकिल की पालिश लगी रहती है।



सिद्धान्त- इन सभी उपकरणों में जो प्रतिरोधक तार लगे होते हैं । जो विद्युत धारा का प्रतिरोध करते हैं अर्थात इनके इलेक्ट्रॉन आसानी से धारा के दिशा में गतिमान नही होते हैं । इन में विद्युत धारा को प्रवाहित करने के लिए इनके इलेक्ट्रॉनों को गतिमान करने के लिए धारा को बहुत अधिक कार्य करना पड़ता है यह कार्य ताप के रूप में परिणित होता है।

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