Pages

Wednesday, January 25, 2023

एक छोटी सी ट्रेन की मुलाक़ात

सबके साथ कभी न कभी ऐसा होता है कि सोच के न चाहते हुए भी चेहरे पर एक बे मतलब सी मुस्कान घूम जाती है।
ऐसा कुछ मेरे साथ हुआ था अब सोचता हूँ तो हँसी  आ जाती है । क्या था वो और क्या मतलब था उसका पता नही , पर जो भी था आज भी याद है।

मैं इलाहाबाद माफ कीजिएगा प्रयागराज जा रहा था , अब वो इलाहाबाद हो या प्रयागराज अपना गंतव्य तो प्रयाग स्टेशन ही था।

मैं समय से स्टेशन पहुँच गया था , माफ कीजिएगा  सायद मैं आपको बताना भूल गया कि मैं फैजाबाद से प्रयाग जा रहा था।

हालकि मैं ज्यादातर इस पैसेंजर ट्रेन के लिए टिकट नही लेता था लेकिन उस दिन मैंने टिकट लिया और जल्दी से प्लेटफार्म नम्बर 3 पर पहुँच गया । समय दोपहर के 12:45 हो रहे थे मौसम में काफी गर्मी थी, और हॉस्टल लाइफ में घर से हॉस्टल जाने में , खाने के लिए आनाज की बोरी साथ मे सायद ही किसी स्टूडेंट के न हो।

ट्रेन सुबह से ही वहीं खड़ी रहती थी , मैं जा के  सीट पर खिड़की के पास बैठ गया। और पानी पिया अपना बैग ऊपर डाल के , आदत के अनुसार फेसबुक में घुस गया।

10 , 15 मिनट ही बीते होंगे , कि एक लड़की मेरे सामने वाली सीट पर आकर बैठ गयी, मैंने एक बार उनकी तरफ नजर की और देखा कि वो अकेली थी और उनके पास सामान के नाम पर एक छोटा सा बैग ही था।

नीले कलर का बैग था जो काफी भरा  हुआ दिख रहा था पर जिस हिसाब से उन्होंने उठा रखा था बिलकुल भी भारी नही लग रहा था।

फिर मैं लेट कर मोबाइल चलाने लगा, जब ट्रेन निकलने का टाइम होने लगा तो , सवारियां काफी आ गयी मुझे उठ के बैठना पड़ा।

वैसे तो मुझे अनजान लोगों से बोलना कभी भी पसन्द नही था , और न ही ट्रेन में कुछ खाना।

मैं हमेशा अपनी ही चीजो में मस्त रहता था मुझे इस बात से बिल्कुल भी मतलब नही होता था कि सामने या मेरे आस पास क्या हो रहा है , एक जिम्मेदार नागरिक के लिहाज से आप मुझे लापरवाह भी बोल सकते हो।

थोड़ी देर बाद जब मैंने सामने देखा वो लड़की सामने सीट पर पालथी मार के बैठी थी। और बैग से उसने कुछ निकाला मेरी तरफ हाथ बढ़ाते हुए पूछा, 'आप खाएंगे ' । ये मेरे लिए थोड़ा अजीब था क्योंकि इतने लोगों के बीच उसने केवल मुझे ऑफर किया।

मैंने ना में सर हिलाते हुए कहा ' नही , धन्यवाद , मुझे नही खाना है। अमूमन किसी के ऑफर के बाद मना हो जाने पर लोग खुद खाने लगते हैं , और मुझे भी इसी बात का अंदाजा था।

लेकिन मैं बिल्कुल ही चकित रह गया जब उसने कहा , अरे खा लो जहर नही मिला है , मेरी बुआ ने दिया है  , अच्छा है।

मैंने हंस के कहा नही ऐसी कोई बात नही , आप खाओ ।

फिर सुल्तानपुर  तक  पहुँचते  पँहुचते पता नही क्या क्या उस नीले बैग से उस लड़की ने निकाला थोड़ा सा खाती और भी वो पोटली रख के दूसरी निकाल लेती ।

इस सबके बीच मुझे भी उसके साथ थोड़ा सहज महसूस होने लगा। उसने बातो ही बातों में बताया कि वह SSC की तैयारी कर रही है और वह बुआ के घर आयी थी , अब उसका एग्जाम था तो फिर इलाहाबाद जा रही थी। 


उसने बताया कि उसकी माता जी का देहांत हो गया है जो कि स्टॉफ नर्स थी और वो जो मृतक आश्रित में उसे मिलने वाली है। मैं उससे पूछना तो चाहता था पर बस पूछ नही पाया कि वो कितने भाई बहन है , पर मन ये जरूर था कि हो सकता है सबसे बड़ी यही हो।

सुल्तानपुर में उसने कहा कि क्या आप मेरे बोतल में पानी ले आएंगे, वैसे मुझे कोई इंटरेस्ट था नही किसी के लिए पानी लाने में, फिर भी मैं चाह कर भी उसको मना नही कर पाया। और पानी लाने चला गया । जब वापस आया तो वह एक बूढ़ी मा से झगड़ा कर रही थी कि सामने वाली सीट जिसपे मैं बैठा था उस पर दादी जी बैठ गयी थी।

मैंने उनको पानी दिया और बोला कि आप झगड़ा तो मत करो मैं इधर बैठ जाऊँगा। पर वो नही मानी , दादी भी अड़ी रही कि उनको भी खिड़की साइड ही बैठना है।

वो लड़की मेरी खिड़की वाली सीट खाली करा के ही मानी पर आपको हंसी आएगी ये जान कर कि किस कीमत पर वो खिड़की वाली सीट खाली हुई थी।

दरअसल उन्होंने अपनी खिड़की वाली सीट दादी जी को दे दी थी।

बैरहाल मुझे अपनी सीट मिल चुकी थी और मैं बैठ गया वो मेरी ही सीट पर आकर मेरे बगल में बैठ गयी।

उसने बिना पूछे ही बताया कि उसका नाम ज्योति ( बदला हुआ नाम ) है ।
[25/01, 5:58 pm] Sona Packers And Movers: और वो एलनगंज में रहती है , मैने भी जबाब में बस इतना कहा कि मै ताराचंद होस्टल में रहता हूँ। जो कि एलनगंज से ज्यादा दूर नही पड़ता था।

उसने वहाँ के एक पार्क का नाम बताया कि वहाँ वो रोज सुबह 5 बजे घूमने जाया करती हैं अपनी एक फ्रेंड के साथ। और मुझे भी मुफ्त की सलाह में बोली कि तुम भी सुबह वॉक किया करो। 

मुझे हंसी तो आई क्योंकि उनको देख के लग नही रहा था कि वो इतनी हेल्थ कॉन्शियस थी, जब से देख रहा था कुछ न कुछ खाये ही जा रही थी।
और शरीर से भी हेल्दी ही थी।

फिर उसने अपना बैग साइड किया और मुझसे बोली अपना हाथ दो,
ये सुन के मैं बिलकुल चौक गया कि अब हाथ क्यों चाहिए उसको,

पर बिना कुछ बोले मैंने अपना बाएं हाथ उनकी तरफ बढ़ा दिया। उसने हाथ झटकते हुए बोला ये हाथ नही  वो वाला हाथ दो।

वो वाला हाथ देने के लिए मुझे उसकी तरफ बिलकुल घूमना पड़ा । मैंने उसको अपना हाथ दिया।

तो वो बोली कि आपके पास बहुत पैसा है। मुझे अंदर ही अंदर हसीं आ रही थी क्योंकि मैं एक मीडिल क्लास  फैमली से था।  तो मजे लेने के लहजे से मैने पूछा और बताओ।
उसने बोला कि आपको सरकारी जॉब नही मिलेगी कितना भी पढ़ लो, वैसे भी आपके हॉस्टल के लोग पढ़ते कहा है बस मार पीट गली गलौज करते हैं।

मैंने उसकी बातों को ज्यादा सीरियस लिया नही बस उसको देखता रहा , पता नही वो क्या क्या बताती रही।

फिर उसने मेरा हाथ छोड़ा और  जिन माता जी से 1 घण्टे पहले लड़ रही थी उनके पास बैठ के उनका हाथ देखने लगी , और पता नही क्या क्या उनके बेटे उनके बहु की बाते करने लगी।

थोड़ी देर में रामगंज स्टेशन आ गया, और एक अंकल मेरे बगल में आकर बैठ गए , जहाँ कि वो बैठी थी पहले, मैं उनको मना करना चाहता था कि वो वहाँ बैठी है पर मैं कुछ बोल नही पाया, हालांकि अब मुझे बुरा लग रहा था। 

मैं इतनी देर से जिस पर ध्यान तक नही दे रहा था अब मेरा मन कर रहा था कि वो ही यहाँ बैठे।

फिर मन ही मन अंकल के उतरने की उम्मीद लिए पता नही कब प्रयाग आ गया 8 घण्टे का सफर यूँ ही बीत गया पर अंकल उतरे प्रयाग ही।

वो लड़की आयी अपना बैग ली, और जाते जाते बोल गयी कल से आओगे  न वॉक पे। अब उनको कौन बताये की हम उठते ही थे 9 बजे तक तो सुबह 5 बजे कहाँ पॉसिबल था मॉर्निंग वॉक , फिलहाल मैंने हाँ में सर हिलाया और उसके जाने का इंतजार करने लगा।

लेकिन वो खड़ी थी, सायद बात करते हुए साथ मे चलना चाहती थी, पर मेरे पास अनाज की बोरी थी जो मैं बिल्कुल भी उसके सामने सर पर तो नही उठाने वाला था।

वो सीट के आख़री छोर तक जा चुकी थी और उतरने  की जल्दी में रहने वाली भीड़ के चक्कर मे उसे भी प्लेटफार्म पर उतरना पड़ा।

मैंने अपनी बोरी कंधे पर उठायी और वह प्लेटफार्म पर उतरी थी और मैं पटरी के साइड उतर के सीधे बाहर निकल आया।

फिर न कभी उससे मुलाकात हुई और न कभी उसकी याद आयी।
इतने दिनों बाद अपनी बहन से चैट करते हुए उसका संस्मरण हो आया, 
ये बाते मैंने उसके साथ शेयर की और आज लिख रहा हूँ।

बहुत खूबसूरत तो नही थी , पर उसका बचपना आज भी , मेरे लिए यादगार बन के रह गयी।
अब न जाने वो बरेली में स्टाफ नर्स होगी या एसएससी में उसका सेलेक्शन हो गया  होगा।

1 comment:

  1. कहानी बहुत अच्छी है कुछ आगे लिखकर फिल्म बनाया जा सकता है

    ReplyDelete

आप इस विषय पर चर्चा ,सुझाव य किसी प्रकार के प्रश्न के लिए सादर आमंत्रित है।
यह पोस्ट अधिक से अधिक लोगो तक पहुचाने में हमारी मदद करे ।

यथा संभव आप प्रश्न हमारे व्हाट्सएप ग्रुप में पूछे

धन्यवाद ।