निष्क्रमण- बच्चे के जन्म के तीसरे व चौथे माह में यह संस्कार संपन्न होता था जिसमें उसे प्रथम बार घर से बाहर निकाला जाता था यह संस्कार माता-पिता संपन्न करते थे उस दिन घर के आंगन में एक चौकोर भाग को गोबर तथा मिट्टी से लीपा जाता था उस पर स्वास्तिक का चिन्ह बना कर धान छींट दिया जाता था ।बच्चे को स्नान कराकर नए परिधान में यज्ञ के सामने करके वेद मंत्रों का पाठ किया जाता था। फिर मां बच्चे को लेकर बाहर निकलती थी तथा उसे प्रथम बार सूर्य के दर्शन कराए जाते थे इसी के साथ उसका घर से बाहरी वातावरण का संपर्क हो जाता था
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