ईंधन - वे पदार्थ है जो हवा में जलकर बगैर अनावश्यक उत्पादों की ऊष्मा उत्पन्न करते हैं ।
अच्छे ईंधन के गुण- सस्ता एवं आसानी से उपलब्ध होना चाहिए।
इसका उष्मीय मान उच्च होना चाहिए ।
जलने के बाद कम से कम अनावश्यक पदार्थ प्राप्त होने चाहिए ।
जलने के दौरान इसमें से हानिकारक पदार्थ उत्पन्न नहीं होने चाहिए ।
इसका भंडारण एवं परिवहन आसान हो तथा इसका जलाना नियंत्रित हो प्रज्वलन ताप निम्न हो।
ईंधन का वर्गीकरण - भौतिक अवस्था के आधार पर इंधन को तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है ।
1.ठोस ईधन
2.द्रव ईंधन
3.गैस ईंधन
ठोस ईंधन- ठोस ईंधन में लकड़ी, कोयला ,चारकोल, कोक आदि प्रमुख हैं ।
कोयला - कार्बन की मात्रा के आधार पर कोयले को चार भागों में बांटा गया है ।
1.पीट कोयला
2.लिग्नाइट कोयला
3.बिटुमिनस कोयला
4.एंथ्रासाइट कोयला
पीट कोयला- यह सबसे निम्न कोटि का कोयला होता है इसे जलाने पर बहुत अधिक मात्रा में राख एवं धुआ निकलता है इस में कार्बन की मात्रा 50 से 60% तक होती है।
लिग्नाइट कोयला - इसमें कार्बन की मात्रा 65% से 70% तक होती है उसका रंग भूरा होता है इसमें जलवाष्प की मात्रा अधिक होती है।
बिटुमिनस कोयला - यह मुलायम कोयला होता है तथा इसका प्रयोग घरेलू कार्यों में किया जाता है इसमें कार्बन की मात्रा 70% से 85% तक पाई जाती है।
एंथ्रासाइट कोयला - यह सबसे उत्तम कोटि का कोयला होता है इस में कार्बन की मात्रा 85% से अधिक होती है।
द्रव ईंधन- पेट्रोल डीजल केरोसिन ,अल्कोहल , स्प्रिट आदि द्रव ईंधन है।
गैसीय ईंधन - गैसीय ईंधनओं में मुख्यतः
1. प्राकृतिक गैस
2. गोबर गैस
3. प्रोड्यूसर गैस
4. जल गैस तथा
5. कोल गैस आती है
प्राकृतिक गैस - यह पेट्रोलियम कुंओ से प्राप्त होता है इसमें 95% हाइड्रोकार्बन जिसमें 80% मीथेन उपस्थित होती है यह घरों में प्रयुक्त होने वाले द्रवित प्राकृतिक गैस होती है ।
यह मुख्य रूप से ब्यूटेन व प्रोपेन का मिश्रण होता है । इसे उच्च दाब पर द्रवित कर के सिलेंडरों में भरकर संग्रहित किया जाता है।
यह अत्यधिक ज्वलनशील होती है तथा दुर्घटना से बचने के लिए इसमें सल्फर के योगिक मिथाइल मरकैप्टन मिश्रित कर दिया जाता है जिससे रिसाव होने पर गंध से पटा चल सके क्योंकि मेथेन गैस गंधहीन होती है।
गोबर गैस - गीले गोबर के सड़ने से ज्वलनशील मीथेन गैस का निर्माण होता है जो कि वायु की उपस्थिति में सुगमता से ज्वलनशील होती है ।
गोबर गैस संयंत्र में बचे हुए अवशिष्ट पदार्थ का उपयोग कार्बनिक खाद के रूप में किया जाता है।
प्रोड्यूसर गैस - लाल तप्त कोक पर वायु प्रवाहित करके इसे तैयार किया जाता है मुख्यतः इसमें कार्बन मोनो डाइऑक्साइड ईंधन का काम करता है ।
70% नाइट्रोजन 25% कार्बन मोनो डाइऑक्साइड एवं 4% कार्बन डाइऑक्साइड का मिश्रण होता है । इसका उष्मीय मान 11:00 सौ से 1750 कैलोरी प्रति किलोग्राम होता है ।
काँच एवं इस्पात उद्योग में ईंधन के रूप में प्रोड्यूसर गैस का ही प्रयोग किया जाता है।
जल गैस - यह हाइड्रोजन 49% कार्बन मोनो ऑक्साइड 45% तथा कार्बन डाइऑक्साइड 4.5% का मिश्रण होता है ।
इसका उष्मीय मान 2500से 2800 कैलोरी प्रति किलोग्राम होता है ।
इसका उपयोग हाइड्रोजन एवं अल्कोहल के निर्माण में अपचायक के रूप में किया जाता है।
कोल गैस - कोयले के भंजन आसवन की विधि से इसका निर्माण किया जाता है ।
यह रंगहीन तीक्ष्ण गंध वाली गैस है । वायु के साथ विस्फोटक मिश्रण का निर्माण करती है।
यह 54% हाइड्रोजन 35% मीथेन 11% कार्बन मोनोऑक्साइड 5% हाइड्रोकार्बन 3% कार्बन डाइऑक्साइड का मिश्रण होता है ।
ईंधन के उष्मीय मान इस की कोटि पर निर्धारित होती है।
अल्कोहल को पेट्रोल में मिला देने पर पावर अल्कोहल की प्राप्ति होती है यह ऊर्जा का वैकल्पिक स्रोत है
अच्छे ईंधन के गुण- सस्ता एवं आसानी से उपलब्ध होना चाहिए।
इसका उष्मीय मान उच्च होना चाहिए ।
जलने के बाद कम से कम अनावश्यक पदार्थ प्राप्त होने चाहिए ।
जलने के दौरान इसमें से हानिकारक पदार्थ उत्पन्न नहीं होने चाहिए ।
इसका भंडारण एवं परिवहन आसान हो तथा इसका जलाना नियंत्रित हो प्रज्वलन ताप निम्न हो।
ईंधन का वर्गीकरण - भौतिक अवस्था के आधार पर इंधन को तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है ।
1.ठोस ईधन
2.द्रव ईंधन
3.गैस ईंधन
ठोस ईंधन- ठोस ईंधन में लकड़ी, कोयला ,चारकोल, कोक आदि प्रमुख हैं ।
कोयला - कार्बन की मात्रा के आधार पर कोयले को चार भागों में बांटा गया है ।
1.पीट कोयला
2.लिग्नाइट कोयला
3.बिटुमिनस कोयला
4.एंथ्रासाइट कोयला
पीट कोयला- यह सबसे निम्न कोटि का कोयला होता है इसे जलाने पर बहुत अधिक मात्रा में राख एवं धुआ निकलता है इस में कार्बन की मात्रा 50 से 60% तक होती है।
लिग्नाइट कोयला - इसमें कार्बन की मात्रा 65% से 70% तक होती है उसका रंग भूरा होता है इसमें जलवाष्प की मात्रा अधिक होती है।
बिटुमिनस कोयला - यह मुलायम कोयला होता है तथा इसका प्रयोग घरेलू कार्यों में किया जाता है इसमें कार्बन की मात्रा 70% से 85% तक पाई जाती है।
एंथ्रासाइट कोयला - यह सबसे उत्तम कोटि का कोयला होता है इस में कार्बन की मात्रा 85% से अधिक होती है।
द्रव ईंधन- पेट्रोल डीजल केरोसिन ,अल्कोहल , स्प्रिट आदि द्रव ईंधन है।
गैसीय ईंधन - गैसीय ईंधनओं में मुख्यतः
1. प्राकृतिक गैस
2. गोबर गैस
3. प्रोड्यूसर गैस
4. जल गैस तथा
5. कोल गैस आती है
प्राकृतिक गैस - यह पेट्रोलियम कुंओ से प्राप्त होता है इसमें 95% हाइड्रोकार्बन जिसमें 80% मीथेन उपस्थित होती है यह घरों में प्रयुक्त होने वाले द्रवित प्राकृतिक गैस होती है ।
यह मुख्य रूप से ब्यूटेन व प्रोपेन का मिश्रण होता है । इसे उच्च दाब पर द्रवित कर के सिलेंडरों में भरकर संग्रहित किया जाता है।
यह अत्यधिक ज्वलनशील होती है तथा दुर्घटना से बचने के लिए इसमें सल्फर के योगिक मिथाइल मरकैप्टन मिश्रित कर दिया जाता है जिससे रिसाव होने पर गंध से पटा चल सके क्योंकि मेथेन गैस गंधहीन होती है।
गोबर गैस - गीले गोबर के सड़ने से ज्वलनशील मीथेन गैस का निर्माण होता है जो कि वायु की उपस्थिति में सुगमता से ज्वलनशील होती है ।
गोबर गैस संयंत्र में बचे हुए अवशिष्ट पदार्थ का उपयोग कार्बनिक खाद के रूप में किया जाता है।
प्रोड्यूसर गैस - लाल तप्त कोक पर वायु प्रवाहित करके इसे तैयार किया जाता है मुख्यतः इसमें कार्बन मोनो डाइऑक्साइड ईंधन का काम करता है ।
70% नाइट्रोजन 25% कार्बन मोनो डाइऑक्साइड एवं 4% कार्बन डाइऑक्साइड का मिश्रण होता है । इसका उष्मीय मान 11:00 सौ से 1750 कैलोरी प्रति किलोग्राम होता है ।
काँच एवं इस्पात उद्योग में ईंधन के रूप में प्रोड्यूसर गैस का ही प्रयोग किया जाता है।
जल गैस - यह हाइड्रोजन 49% कार्बन मोनो ऑक्साइड 45% तथा कार्बन डाइऑक्साइड 4.5% का मिश्रण होता है ।
इसका उष्मीय मान 2500से 2800 कैलोरी प्रति किलोग्राम होता है ।
इसका उपयोग हाइड्रोजन एवं अल्कोहल के निर्माण में अपचायक के रूप में किया जाता है।
कोल गैस - कोयले के भंजन आसवन की विधि से इसका निर्माण किया जाता है ।
यह रंगहीन तीक्ष्ण गंध वाली गैस है । वायु के साथ विस्फोटक मिश्रण का निर्माण करती है।
यह 54% हाइड्रोजन 35% मीथेन 11% कार्बन मोनोऑक्साइड 5% हाइड्रोकार्बन 3% कार्बन डाइऑक्साइड का मिश्रण होता है ।
ईंधन के उष्मीय मान इस की कोटि पर निर्धारित होती है।
अल्कोहल को पेट्रोल में मिला देने पर पावर अल्कोहल की प्राप्ति होती है यह ऊर्जा का वैकल्पिक स्रोत है
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